केंद्र सरकार समाजिक सुरक्षा योजना के प्रबंधन के लिए केंद्रीय सेवा का एक स्पेशल कैडर बनाने की तैयारी कर रही है। इससे ऐसा लग रहा है कि सरकार सेवानिवृत्ति निधि निकाय कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की पूरी संरचना और कार्य को बदलने का काम करेगी। द इकोनाॅमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, विचार यह है कि अधिकारियों को हायर कर राज्य सामाजिक सुरक्षा बोर्ड चलाने के लिए भेजा जाएगा। यह कैडर इंडियन सोशल सिक्योरिटी सर्विस कहलाएगा। प्रस्ताव के अनुसार, ईपीएफओ और ईएसआईसी के ग्रुप ए के अधिकारी को एक साथ सोशल सिक्योरिटी सर्विस में विलय कर दिया जाएगा। वर्तमान में ईपीएफओ के केंद्र और राज्य में स्थित मुख्यालयों में कुल मिलाकर करीब 18 हजार कर्मचारी हैं। इनमें से करीब 2000 ग्रुप ए सेवा के कर्मचारी हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी के अनुसार ने बताया कि कई लाख करोड़ के सामाजिक सुरक्षा कोष का प्रबंधन करने के लिए ऐसे समर्पित कैडर की आवश्यकता है क्योंकि सरकार अपने सभी कर्मचारियों के लिए समाजिक सुरक्षा फंड चलाने के लिए इसे यूनिवर्सल बनाना चाहती है। अधिकारी ने कहा, “सरकार जिस तरह की योजना बना रही है, इससे लाभार्थियों की संख्या पांच गुना बढ़कर 50 करोड़ तक पहुंच जाएगी।
वर्तमान में 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक ईपीएफओ और ईएसआईसी से फंड में काफी वृद्धि होगी। दोनों मौजूदा सरकारी संगठन देश में अनुमानित 10 करोड़ संगठित कर्मचारियों के लिए पेंशन, भविष्य निधि और स्वास्थ्य बीमा की सामाजिक सुरक्षा योजनाएं चला रहे हैं।” राज्य सामाजिक सुरक्षा बोर्डों के लिए प्रस्तावित ढांचे के तहत श्रम मंत्रालय ने सभी राज्यों को ईपीएफओ के कार्यों के निष्पादन के लिए स्वतंत्र निकायों की स्थापना करने का सुझाव दिया है।
वहीं, कुछ दिनों पहले यह खबर आयी थी कि केंद्र सरकार ईपीएफओ के सभी कार्यकारी काम राज्य सामाजिक सुरक्षा बोर्ड को ट्रांसफर करने की योजना बना रही है। ईपीएफओ एक फंड मैनेजर के तौर पर डिपोटिट को विभिन्न स्त्रोतों में इनवेस्ट करने और उससे मिलने वाले रिटर्न के आधार पर पीएफ की वार्षिक ब्याज दर तय करेगा। इस पहल का उद्देशय ईपीएफओ के अनुभव का फायदा उठाना है।