लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी की सरकार किसानों को लेकर बड़ा फैसला लेने की तैयारी में है। न्‍यूज एजेंसी ‘ब्‍लूमबर्ग’ के अनुसार, केंद्र सरकार किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी खत्‍म कर सकती है। इसके बजाय किसानों को सीधे नकदी देने पर विचार किया जा रहा है। ऐसा होने पर बीज और उर्वरक पर किसानों को मिलने वाली सब्सिडी भी नहीं मिलेगी। योजना के देशभर में लागू होने पर सरकारी खजाने पर 70 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्‍त बोझ पड़ सकता है।

हाल में पांच राज्‍यों में संपन्‍न हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। इनमें छत्‍तीसगढ़, राजस्‍थान और मध्‍य प्रदेश जैसे राज्‍य शामिल थे। बताया जाता है कि भाजपा को किसानों की नाराजगी का खामियाजा उठाना पड़ा। इस साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में मोदी सरकार किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती है। बता दें कि वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने इससे पहले बजट में कृषि सब्सिडी के लिए 70 हजार करोड़ रुपए से ज्‍यादा की राशि का प्रावधान किया था।

वित्‍तीय घाटे को लेकर आम राय नहीं: मोदी सरकार द्वारा किसानों को सब्सिडी के बजाय सीधे नकदी देने की योजना से मौजूदा वित्‍त वर्ष में वित्‍तीय स्थिति पर क्‍या असर पड़ेगा इसको लेकर विशेषज्ञों के बीच आम राय नहीं है। हालांकि, सरकारी खर्च पहले से निर्धारित बजट घाटे की तय सीमा को पार कर चुकी है। ऐसे में सरकार के पास अतिरिक्‍त खर्च करने के लिए ज्‍यादा विकल्‍प नहीं बचे हैं। केयर रेटिंग्‍स के मदन सबनवीस का मानना है कि सरकार मौजूदा खर्च में कटौती कर किसानों को नकदी दे सकती है। लिहाजा, इस कदम से वित्‍तीय घाटे की तय सीमा (3.3 फीसद) का उल्‍लंघन नहीं होगा। वहीं, कुछ अन्‍य अर्थशास्त्रियों का मानना है कि लोक-लुभावन नीतियों के कारण सरकार लगातार दूसरे साल वित्‍तीय घाटे के लक्ष्‍य को हासिल नहीं कर सकेगी।

कर्ज माफी को लेकर भी मोदी सरकार पर दबाव: हाल में संपन्‍न 5 राज्‍यों के विधानसभा चुनावों में किसान कर्ज माफी का मुद्दा बेहद अहम रहा। कांग्रेस ने सत्‍ता में आने पर किसानों का कर्जा माफ करने का वादा किया था। राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान में सरकार बनने के बाद कांग्रेस ने तुरंत शर्तों के साथ किसानों का कर्जा माफ करने की घोषणा भी कर दी। इससे केंद्र की मोदी सरकार पर भी दबाव बढ़ा है। वहीं, विपक्षी कांग्रेस लगातार सरकार पर कर्ज माफी को लेकर दबाव बनाने में जुटी है। लेकिन, यदि केंद्र के स्‍तर पर किसानों का कर्जा माफ करने की घोषणा होती है तो यह देखना दिलचस्‍प होगा कि सरकार इसके लिए फंड कहां से जुटाएगी। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी का मानना है कि केंद्र सरकार फिलहाल इतने व्‍यापक पैमाने पर कर्ज माफी करने की स्थिति में नहीं है।