केंद्र की मोदी सरकार ने ट्रिपल तलाक़ और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल के सफलतापूर्वक संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद अब धर्म-परिवर्तन की तरफ अपनी नज़रें टिका दी हैं। डीएनए में छपी एक ख़बर के मुताबिक केंद्र सरकार धर्मांतरण पर नकेल कसने के लिए संसद के अगले सत्र में बिल लाने जा रही है। डीएनए ने बीजेपी के सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस क्रम में बिल का मसौदा तैयार करने का काम शुरू हो चुका है। सरकार को यक़ीन है कि अन्य प्रमुख विधेयकों की तरह यह बिल भी राज्यसभा से बिना किसी अड़चन के पास हो जाएगा।
गौरतलब है कि वर्तमान में ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और झारखंड में धर्मांतरण के खिलाफ क़ानून है। लेकिन, राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा कोई कानून मौजूद नहीं है। ऐसे में कई राजनीतिक एवं सामाजिक संगठन धर्मांतरण के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर कानून चाहते हैं। इनमें आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी लंबे समय से कठोर कानून बनाने की मांग करती रही हैं।
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गौरतलब है कि कई बार ऐसी खबरें आईं कि कुछ सामाजिक-धार्मिक संगठन धर्मांतरण के लिए मिशन चलाते हैं और उनका उद्देश्य अपने धर्म के अनुयायियों की संख्या बढ़ाना है। ऐसे में सरकार ऐसी संस्थाओं पर नकेल कसने के लिए राष्ट्र-व्यापी कानून लाने की सोच रही है।