मोदी सरकार देसी गायों की तादाद बढ़ाने के लिए ब्राजील से गिर गायों का सीमेन मंगवाकर देश भर में बांटेगी। ब्राजील सरकार के साथ केंद्र ने एक समझौता किया है। इस समझौते के तहत भारत को गिर गायों की एक लाख डोज मिलेगी। 2017 में भी सरकार ने ब्राजील से सीमेन आयात की कोशिश की थी लेकिन यह विफल रही थी।

केंद्रीय मंत्री संजीव बालयान ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि ‘एक से डेढ़ महीने के भीतर सीमेन की डोज भारत पहुंच जाएंगी। यह डोज स्वदेशी गिर गाय की होंगी। देसी गायों की तादाद बढ़ाने के लिए इसे देश भर में बंटवाया जाएगा।’ गिर भारत प्रमुख जेबू (गाय) नस्लों में से एक है। यह 18वीं शताब्दी में गुजरात के भावनगर के महाराजा द्वारा ब्राजील को भेंट स्वरूप दी गई थी। इसके बाद ब्राजील ने गिर गायों की मूल नस्ल को संरक्षित किया है। गिर अन्य गायों की तुलना में ज्यादा दूध देती है। सर्द से सर्द मौसम में भी ये नस्ल जीवित रहती है इसकी वजह से यह दक्षिण अमेरिकी देशों में भी काफी लोकप्रिय है।

हालांकि भारत में इन गायों की तादाद लगातार घटती जा रही है। किसान इन गायों की तुलना में ज्यादा दूध देने वाली जर्सी नस्ल को तवोज्जों देते हैं। किसान विदेशी और क्रॉस ब्रिड मवेशियों को पालने में ही ज्यादा फायदा देखते हैं क्योंकि ये गाय ज्यादा दूध देने में सक्षम होती हैं। देसी गिर, साहीवाल या लाल सिंधी गाय 300-305 दिनों में 1,500-2,000 लीटर दूध देती है तो वहीं विदेशी और क्रॉस ब्रिड गाय इतने ही दिनों में 7,000-8,000 दूध देती है।

पशुधन गणना 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में देसी और नवजात पशुओं की आबादी 139.82 मिलियन है जो कि पिछली पशुधन गणना (2012) के मुकाबले 7.5 फीसदी कम है। 2012 में पशुधन गणना के मुताबिक देसी और नवजात पशुओं की आबादी 151.17 मिलियन थी। यह गिरावट 1992 से लगातार जारी है। उस समय में इनकी संख्या 189.37 मिलियन थी।