विनिवेश के लक्ष्य को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। बुधवार 9 मार्च 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रीय भूमि मुद्रीकरण निगम (National Land Monetization Corporation) के गठन की मंजूरी दे दी है। सरकार के इस कदम के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों और अन्य सरकारी विभागों की खाली पड़ी और बेकार पड़ी जमीनों के मुद्रीकरण (Monetization) का रास्ता साफ हो गया है।
भरा जाएगा सरकारी खजाना: कैबिनेट की मीटिंग के बाद सरकार की तरफ से जारी किए गए बयान के मुताबिक “गैर प्रमुख संपत्तियों के मुद्रीकरण से साथ, सरकार अप्रयुक्त और कम उपयोग वाली संपत्तियों का मुद्रीकरण करके पर्याप्त राजस्व जुटाने में सक्षम होगी। सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों के पास जमीनों और इमारतों के रूप में बड़ी संख्या में अतिरिक्त अप्रयुक्त और कम उपयोग वाली संपत्तियां हैं।”
राष्ट्रीय भूमि मुद्रण निगम के लिए आरंभिक अंश पूंजी (Initial Share Capital) 5 हजार करोड़ रुपए और चुकता अंश पूंजी (Paid-UP Capital) 150 करोड़ रुपए होगा।
इन विभागों की संपत्तियों की लगेगी बोली: सूत्रों के मुताबिक रेलवे, टेलीकॉम और रक्षा विभाग के पास जैसे मंत्रालयों के पास बड़ी संख्या में अतिरिक्त जमीनें हैं जिनका मुद्रीकरण किया जाना है। आपको बता दें, कुछ समय पहले सरकार ने एमटीएनएल और बीएसएनएल की संपत्तियों की बिक्री के लिए बोली मंगाई थी, लेकिन आरक्षित मूल्य अधिक होने के कारण किसी भी निवेशक ने इसके लिए बोली नहीं लगाई थी।
मुद्रीकरण का लक्ष्य: पिछले साल सितंबर में सरकार ने अगले चार साल में 6 लाख करोड़ की सरकारी संपत्तियों के मुद्रीकरण का लक्ष्य रखा था। इसमें सड़क, रेलवे और ऊर्जा विभाग से जुड़ी 66 फीसदी संपत्तियां शामिल है।
किसके पास कितनी जमीनें : वित्त वर्ष 2021-22 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों ने निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन (DIPAM) को मुद्रीकरण के लिए करीब 3400 एकड़ की जमीनें और गैर प्रमुख संपत्तियां के लिए निर्दिष्ट किया हैं। इसमें एमटीएनएल, बीएसएनएल, बीपीसीएल, बीईएमएल, एचएमटी की संपत्तियां शामिल है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार रेलवे के पास 11.8 लाख एकड़, और रक्षा मंत्रालय के पास 17.95 लाख एकड़ की जमीनें है।