Indian medical colleges: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों को भारत में आगे की पढ़ाई के लिए प्रवेश नहीं दे सकते। बता दें कि केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि वह युद्ध प्रभावित यूक्रेन से लौटे भारतीय स्नातक मेडिकल छात्रों को देश में मेडिकल कॉलेजों में अपनी शिक्षा जारी रखने की अनुमति नहीं दे सकता है।
केंद्र सरकार का कहना है कि रूस-यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध से बने हालात के बीच यूक्रेन से लौटे भारतीय मेडिकल छात्रों का भारत के कॉलेजों में दाखिला कानूनन संभव नहीं है। केंद्र के इस जवाब से 14,000 मेडिकल छात्रों की उम्मीदों को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने इसको लेकर हलफनामा दाखिल किया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच शुक्रवार को करेगी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अदालत में दाखिल किए हलफनामे में कहा है कि यूक्रेन से लौटे छात्र या तो NEET में कम अंक पाने वाले है या फिर वो सस्ती पढ़ाई के लिए यूक्रेन गए थे। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि यूक्रेन से वापस देश आए छात्रों की सहायता की जाएगी।
मंत्रालय के अवर सचिव सुनील कुमार के माध्यम से दायर हलफनामे में कहा गया है कि अगर कम मेरिट वाले इन छात्रों को डिफ़ॉल्ट रूप से भारत के प्रमुख मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश की अनुमति दी जाती है, तो जो इन कॉलेजों में सीट नहीं पा सकेंगे, उन इच्छुक उम्मीदवारों की तरफ से कई मुकदमे भी हो सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने बताया कि यूक्रेन से लौटने वाले छात्रों की सहायता के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एनएमसी) के परामर्श से सक्रिय कदम उठाए गए हैं। केंद्र ने कहा कि यूक्रेन से लौटे छात्रों को एडमिशन देना देश में चिकित्सा शिक्षा के मानकों को भी गंभीर रूप से बाधित करेगा।
दरअसल सरकार ने अदालत में यह हलफनामा उन छात्रों द्वारा दायर विभिन्न याचिकाओं पर जवाब के तौर पर दाखिल किया है जो अपने संबंधित विदेशी मेडिकल महाविद्यालयों/ विश्वविद्यालयों में पहले से चौथे वर्ष के बैच के मेडिकल छात्र हैं। ये छात्र मुख्य रूप से अपने संबंधित सेमेस्टर में भारतीय चिकित्सा महाविद्यालयों में ट्रांसफर करने की मांग कर रहे हैं।