पीएम नरेंद्र मोदी की सीधी दखल और फ्रेंच राष्‍ट्रपति फ्रांस्‍वा ओलांद से उनकी बातचीत की वजह से राफेल लड़ाकू विमानों की डील के रास्‍ते का गतिरोध दूर हो सका। यह जानकारी अब सामने आई है।

रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने द इंडियन एक्‍सप्रेस से बताया कि नवंबर 2015 में पेरिस में होने वाले जलवायु सम्‍मेलन के लिए रवाना होने से पहले मोदी ने ओलांद से बातचीत की। मोदी ने ओलांद को इस डील से जुड़े 50 पर्सेंट ऑफसेट क्‍लॉज के लिए रजामंद किया। मामले से जुड़े जानकारों का यह भी कहना है कि फ्रांस ने उसी कीमत पर अपने एयरक्राफ्ट बेचने की पेशकश की है, जिस कीमत पर उसकी खुद की एयरफोर्स ये विमान खरीदती है। बता दें कि राफेल से जुड़े सौदे के हिसाब से कम से कम 30 पर्सेंट का ऑफसेट डील अनिवार्य होता है। इससे पहले, मीडियम मल्‍टी रोल कॉम्‍बैट एयरक्राफ्ट के डील में पचास फीसदी ऑफसेट क्‍लॉज को फॉलो किया गया। हालांकि, यह डील रद्द हो गई थी।

माना जा रहा है कि ओलांद के गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत आने के दौरान दोनों देशों के बीच राफेल डील को लेकर इंटर गर्वनमेंटल अग्रीमेंट (IGA) पर दस्‍तखत हो सकते हैं। मोदी ने पिछले साल अप्रैल में अपने फ्रांस दौरे के दौरान एलान किया था कि भारत 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदेगा। इसके बाद, फ्रांस और भारत दोनों ही देशों के ओर से एक वर्किंग ग्रुप बनाया गया ताकि इस डील को अमली जामा पहनाया जा सके। वित्‍तीय लेनदेन, डिलीवरी शेड्यूल, सर्विस शेड्यूल से लेकर तमाम बिंदुओं पर रजामंदी बन गई। हालांकि, 50 पर्सेंट ऑफसेट क्‍लॉज पर एकराय नहीं बन सकी। भारत इस क्‍लॉज के जरिए अपने स्‍थानीय उद्योगों को बढ़ावा देना चाहता था। वहीं, फ्रांस का कहना था कि इस तरह के डील में ऐसे क्‍लॉज को रजामंदी नहीं दी जा सकती। इसके बाद, मोदी ने फ्रेंच राष्‍ट्रपति से सीधी बात की और डील का रास्‍ता साफ हो सका। इस डील के तहत अगले साल छह फाइटर प्‍लेन मिलने की उम्‍मीद है।