Parthasarathi Biswas

देश में प्याज की नई फसल निकलने वाली है। इस बीच सरकारी कंपनी एमएमटीसी के रुख को लेकर प्याज किसानों में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। एमएमटीसी लिमिटेड ने पाकिस्तान, मिस्र, चीन, अफगानिस्तान और किसी अन्य क्षेत्र से प्याज आयात करने के लिए टेंडर जारी किये हैं।

किसानों की तरफ से एमएमटीसी के इस कदम की काफी आलोचना की जा रही है। स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी का कहना है कि जब एक महीने बाद ही दिवाली के बाद हमारी खरीफ की फसल पूरी होने वाली है तो वह ऐसा कर सकते हैं? और पाकिस्तान से आयात क्यों? क्या भारतीय किसान उनके सबसे बड़े दुश्मन हैं।

शेट्टी ने कहा कि एमएमटीसी की तरफ से 6 सितंबर को जारी टेंडर में कहा गया है कि शिपमेंट की डिलिवरी नवंबर माह के अंत तक होनी चाहिए। नई फसल और आयात की गई प्याज दोनों एक ही समय पर आएंगे। ऐसे में हमारे किसानों को सही दाम मिलने का कोई मौका ही नहीं है।

फिलहाल महाराष्ट्र के नासिक जिले के लासलगांव में प्याग की कीमतें करीब 2300 रुपये प्रति क्विंटल चल रही हैं। जबकि बड़े शहरों में प्याज 39 से 42 रुपये किलो बेचा जा रहा है। सरकारी कंपनी ने 2000 टन प्याज के लिए निविदा आमंत्रित की है। हालांकि, यह बहुत अधिक नहीं है लेकिन इससे निश्चित रूप से सेंटिमेंट पर तो प्रभाव पड़ता ही है।

देश में प्याज के इस सबसे बड़े बाजार में प्याज की औसत कीमत अप्रैल के 830 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले मई में 931 रुपये प्रति क्विंटल हो गईं। इतना ही नहीं जून में ये कीमतें 1222 रुपये, जुलाई में 1252 और अगस्त में बढ़कर 1880 रुपये प्रति क्विटंल पर पहुंच गईं। इस महीने औसत कीमत 2377 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। नासिक जिले के नामपुर गांव के किसान दीपक पागर ने कहा कि उसने 680 क्विंटल रबी प्याज स्टोर किया था। उसमें से दीपक ने 540 क्विटंल प्याज 18 रुपये प्रति किलो के औसत दाम से बेच दिया।

दीपक का कहना है कि सरकार को इस बात की चिंता नहीं होती है जब हमें 700-800 रुपये प्रति क्विंटल का दाम मिलता है। इससे हमारी पैदावार की लागत भी नहीं निकल पाती है। जब ग्राहकों को थोड़ा से भी अधिक पैसे चुकाने पड़ते हैं तब सरकार की आंख खुल जाती है। वे प्याज का आयात ही क्यों करते हैं?