तमिलनाडु सरकार में मंत्री वी. सेंथिल बालाजी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने के एक दिन बाद मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्रीय सचिवालय में एक बैठक बुलाई है। इसमें कानून मंत्री एस रघुपती, डीएमके के राज्यसभा सांसद एनआर इलांगो और एडवोकेट जनरल आर शुनमुगसुंदरम और अन्य लोग शामिल हुए हैं।

कल राज्यपाल आरएन रवि ने सेंथिल बालाजी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था और अगले आदेश तक उन्हें कैबिनेट से बाहर रहने के लिए कहा गया था। हालांकि, 5 घंटे बाद ही उन्होंने फैसला वापस ले लिया। राज्यपाल के इस फैसले के बाद स्टालिन ने यह बैठक बुलाई है। सूत्रों ने बताया कि इसमें राज्यपाल के इस फैसले को वापस लेने के कदम पर सभी राजनीतिक विकल्पों और कानूनी पहलुओं को लेकर विचार किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि डीएमके हाइकमान इस मामले में कानूनी और राजनीतिक रणनीति तैयार करने के लिए अपने नेताओं और पदाधिकारियों से विचार-विमर्श कर सकते हैं। एक डीएमके नेता ने कहा कि राज्यपाल अपने फैसले से पीछे हट गए हैं और उनका पूरी तरह से पर्दाफाश हो गया है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में द्रमुक को निशाना बनाने की भारतीय जनता पार्टी की हर चाल उल्टी पड़ रही है।

आरिफ मोहम्मद खान ने भी दी प्रतिक्रिया

इस मामले पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का भी बयान आया है। उन्होंने कहा, “तकनीकी बारीकियों में जाने से ज्यादा क्या हमारे जीवन में कुछ नैतिकता होनी चाहिए या नहीं? कोई सोच भी नहीं सकता कि कोई व्यक्ति किसी आरोप के बाद ऐसा कर सकता है। उनके खिलाफ अदालत में मामला चल रहा है। मैं कानूनी बातें नहीं कर रहा हूं क्योंकि मुझे उसकी जानकारी नहीं है। अगर उन पर कुछ आरोप लगे हैं तो पहले उन्हें उन आरोपों को साफ करना चाहिए।”

कैश फोर जॉब स्कैम में भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे सेंथिल बालाजी को राज्यपाल एन रवि ने मंत्रिपरिषद से बर्खास्त कर दिया था। राज भवन ने एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा कि ऐसी आशंका है कि वी. सेंथिल बालाजी के मंत्रिपरिषद में बने रहने से निष्पक्ष जांच समेत कानून की उचित प्रक्रिया पर प्रतिकूल असर होगा जिससे राज्य में संवैधानिक तंत्र ध्वस्त हो सकता है। इसमें यह भी कहा गया कि इन परिस्थितियों के तहत राज्यपाल ने सेंथिल बालाजी को तत्काल प्रभाव से मंत्रिपरिषद से बर्खास्त कर दिया है। हालांकि, इसके 5 घंटे बाद ही राज्यपाल ने फैसला वापस ले लिया।

इस पूरे घटनाक्रम पर स्टालिन ने कहा कि राज्यपाल रवि के पास किसी मंत्री को कैबिनेट से बर्खास्त करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार इस मुद्दे को कानूनी रूप से चुनौती देगी। वाम दलों समेत डीएमके के सहयोगियों ने भी सत्तारूढ़ पार्टी का समर्थन किया और राज्यपाल के कदम की निंदा की। राजनीतिक विश्लेषक दुरई करुणा ने कहा कि मंत्रियों को मंत्रिमंडल में शामिल करना या हटाना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है।

14 जून को सेंथिल की गिरफ्तारी हुई थी, जिसके बाद से सरकार ने उन्हें कैबिनेट में बरकरार रखा है। हालांकि,उनके पास फिलहाल कोई विभाग नहीं है और पहले जिन विभागों का कार्यभार वह संभाल रहे थे उनकी जिम्मेदारी दूसरे मंत्रियों को सौंप दी गई है। कैश फोर जॉब स्कैम मामले में ईडी जांच कर रही है। गिरफ्तारी के बाद सेंथिल बालाजी को सीने में दर्द की शिकायत हुई थी, जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कर दिया गया था। बाद में उन्होंने एक निजी अस्पताल में बायपास सर्जरी कराई थी। राज्यपाल ने सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी से पहले 31 मई को मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर उन्हें मंत्रिमंडल से हटाने के लिए कहा था और अगले ही दिन स्टालिन ने उन्हें विस्तृत जवाब दिया था। रवि ने पहले सरकार के विभागों के पुन: आवंटन से जुड़ी फाइल लौटा दी थी लेकिन बाद में उन्होंने प्रस्ताव पर अपनी मंजूरी दे दी थी।