कुश्ती महासंघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह काफी दिनों से चर्चाओं में हैं। सात महिला पहलवानों ने उन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। इनमें एक नाबालिग महिला पहलवान भी शामिल हैं, जिन्होंने अपने आरोप वापस ले लिए हैं। उन्होंने पुलिस और मजिस्ट्रेट के सामने दो बयान दर्ज कराए थे।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि पहलवान ने मजिस्ट्रेट के सामने CrPC की धारा 164 के तहत अपना बयान दर्ज करवाया था। अदालत में दिए गए बयान को साक्ष्य माना जाता है। अब यह कोर्ट फैसला करेगा कि आरोपों को आगे बढ़ाया जाए या नहीं और ट्रायल से तय होगा कि किस बयान को सेक्शन 164 के तहत तरजीह दी जाए।
वहीं, दिल्ली पुलिस में दर्ज एफआईआर में नाबालिग पहलवान ने बृज भूषण पर कई बार यौन अत्याचार का आरोप लगाया था। एफआईआर में उत्पीड़न के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें पहलवान के पिता ने कहा था कि रेसलर इस घटना के बाद से काफी परेशान है और सिंह द्वारा किए गए यौन उत्पीड़न की वजह से वह लगातार डर में है। शिकायत में यह भी कहा गया, “बृज भूषण ने पहलवान को टाइट पकड़कर जबरदस्ती फोटो खिंचवाने के लिए कहा और उसको अपनी तरफ खींचा। बृज भूषण ने उसके कंधे को जोर से जकड़ लिया और फिर जानबूझकर उसकी छाती पर हाथ लगाया।”
10 मई को पहलवान ने पहली बार मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज करवाया था। वहीं, बृज भूषण पर दर्ज एफआईआर में यौन अपराधों से बच्चों के कड़े संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा 10 और IPC की धारा 354, 354A, 354D के तहत मामला दर्ज किया गया था। धारा 10 नाबालिग के खिलाफ गंभीर यौन हमले से संबंधित है और इसमें सात साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है। वहीं, POCSO अधिनियम की धारा 9 यौन हमले को परिभाषित करती है।
वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने कहा, “मैं हैरान नहीं हूं। ऐसे मामलों में गिरफ्तारी में देरी शिकायतकर्ता को दबाव में डालती है। इस तरह के संघर्ष लंबे और दर्दनाक होते हैं। जब महिलाएं ऐसे मामलों में सामने आती हैं, तो वे अपना जीवन और करियर दांव पर लगा देती हैं।”