अमूमन हरेक सभ्यता-संस्कृति और संस्कार में बुजुर्गों को हर तरह से रियायत और सम्मान देने का बात कही गई है। सरकारें भी इस सामाजिक बुनियाद का पालन करती रही हैं लेकिन कभी-कभी सरकार के ही अलग-अलग विभागों में उनके मानने के मापदंडों में फर्क नजर आता है। इस वजह से बुजुर्गों को परेशानी होती है। भारत में भी बुजुर्गों को सम्मान देने की बात होती रही है लेकिन बुजुर्ग मानने की उम्र सीमा अलग-अलग है। सरकारी विभागों, मंत्रालयों और निजी एजेंसियों में ही उनके रिटायरमेंट की उम्र कहीं 60 साल है तो कहीं 63 और 65 साल है। पता नहीं क्यों? आखिर बुजुर्गों के फायदे की उम्र सीमा कब और कौन तय करेगा। फायदे के लिए बुजुर्गों की उम्र में काफी विसंगतियां है, जिसके चलते वे लोग कई सरकारी लाभ एवं छूट से वंचित रह जाते हैं।
भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक कल्याण कानून 2007 के संशोधन को एक समान देश में लागू करना होगा। इस कानून के मुताबिक वरिष्ठ नागरिक भारत का वह नागरिक है जो 60 साल और इससे अधिक उम्र का है। इस कानून को देश के सभी मंत्रालय, विभाग और निजी एजेंसियों को समान रूप से स्वीकार करना होगा। तभी 60 साल वाले या इससे अधिक उम्रदराज नागरिकों को फायदा मिल सकेगा। इसके लिए देश की केंद्रीय सरकार को सार्थक पहल करने की जरुरत है।
दिलचस्प बात है कि बुजुर्गों को फायदा दिए जाने और छूट के लिए सरकारी विभागों और मंत्रालयों ने अलग-अलग उम्र का पैमाना अपने-अपने हिसाब से तय कर रखा है। मसलन, एयर इंडिया ने वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली यात्रा छूट के लिए योग्यता मानदंड, जो हाल तक 63 वर्ष था, उसे बीते हफ्ते घटाकर 60 वर्ष किया है। भारतीय रेल में मूल किराया में छूट के लिए महिलाओं की योग्यता 58 साल और इससे अधिक है जबकि पुरुषों के लिए 60 साल या इससे ज्यादा है। वहीं आय कर छूट में वरिष्ठ नागरिक की योग्यता 65 साल उम्र पूरी करने पर माना जाता है। यानि एक ही देश में वरिष्ठ नागरिक मानने का पैमाना अलग-अलग सरकारी विभागों में अलग-अलग है।
जाने माने साहित्यकार शिवकुमार शिव सरीखे लोग इसे हास्यास्पद बताते हैं और तो और रिटायरमेंट की उम्र सीमा में भी विसंगति है। सरकारी डॉक्टर 67 साल में, प्रोफेसर 65 साल में, बैंक कर्मी 60 साल में, केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी अधिकारी 60 साल में, पत्रकार 58 साल में ही रिटायर हो जाते हैं। निजी फर्मों में न तो रिटायर होने की उम्र तय है और न ही तनख्वाह। इन सब को कौन देखेगा। सबका साथ सबका विकास कैसे होगा? यह अनुत्तरित सवाल सरकार के सामने खड़ा है।

