देश में मौजूद “फर्जी टीचर्स” का पता लगाने और एक नेशनल टीचर्स पोर्टल तैयार करने के लिए मानव संसाधन विकास (HRD) मंत्रालय ने पिछले चार महीनों में 15 लाख यूनिवर्सिटी और कॉलेज टीचर्स में से 60 फीसदी की प्रोफाइल तैयार कर ली है। इसमें शिक्षकों की जाति, धर्म, आधार और फोन नंबर जैसी व्यक्तिगत जानकारी भी डाली गई है। जो टीचर्स रह गए हैं उनकी जानकारी आने वाले एक माह के भीतर पूरी कर ली जाएगी। अगले साल छात्रों का भी इसी तरह का डेटाबेस तैयार किया जाएगा।
HRD मिनिस्ट्री के अतिरिक्त सचिव आर सुब्रमण्यम ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हमारा मानना है कि देश में कई फर्जी लेक्चरार हैं। ऐसे कई शिक्षक हैं जो एक से ज्यादा गैर सरकारी इंस्टिट्यूट में काम कर रहे हैं। आधार कार्ड जैसी व्यक्तिगत जानकारी से ऐसे शिक्षकों का पता लगाने में मदद मिलेगी।” यह स्वीकार करते हुए कि धर्म और जाति की व्यक्तिगत जानकारी लेने से फर्जीवाड़े का कोई संबंध नही हैं, सुब्रमण्यम ने कहा, “यह जानकारी लेना पहले से ही सर्वे प्रक्रिया का हिस्सा रहा है।” उन्होंने कहा, “सीधे तौर पर टीचर से सभी जानकारी मिलने से इंस्टिट्यूट पर काम का बोझ भी कम होगा, साथ ही गलती की संभवाना भी घट जाएगी।”
सन 2010-11 से सरकार हर साल वार्षिक उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE) करती आ रही है। लेकिन यह पहली बार है जब शिक्षकों की व्यक्तिगत जानकारी भी मांगी गई है। पिछले साल तक सभी शैक्षणिक संस्थानों को अपने स्टाफ का सामान्य व संख्यात्मक डेटा देना होता था, जैसे- पद, सेक्शन, लिंग, कैटेगरी (जनरल/एससी/एसटी/ओबीसी), धर्म (मुस्लिम/अन्य अल्पसंख्यक) और विकलांगता आदि। लेकिन साल 2016-2017 के लिए वर्तमान डेटा कलेक्शन फॉर्मेट के साथ नया टीचर इंफोर्मेशन फॉर्मेट भी जोड़ दिया गया है। इस डेटा को Gurujan नाम के एक टीचर पोर्टल (gurujan.gov.in) पर डाला जाएगा।
जाति, धर्म की जानकारी से शिक्षकों की निजता भंग होने के सवाल पर सुब्रमण्यम ने कहा, “शुरुआत में इस पोर्टल को पब्लिक के लिए शुरू नहीं किया जाएगा। हम किसी भी निजी जानकारी को सामने नहीं आने देंगे। सारा डेटा सुरक्षित होगा। लेकिन मुझे नहीं लगता किसी का आधार नंबर पता लगने से दिक्कत होगी।”