रक्षा मंत्रालय ने आदेश दिया है कि सेना के ऐसे ऑफिसर कैडेट्स जिन्हें मिलिट्री ट्रेनिंग के दौरान विकलांगता की वजह से बाहर कर दिया जाता है, उन्हें भी अब Ex-Servicemen Contributory Health Scheme (ECHS) के तहत मेडिकल सुविधाएं मिलेंगी। अभी तक उन्हें यह सुविधा नहीं मिलती थी क्योंकि उनके पास एक्स सर्विसमैन ex-servicemen (ESM) का दर्जा नहीं था।
रक्षा मंत्रालय के इस आदेश के बाद ऐसे सभी ऑफिसर कैडेट्स सेना के अस्पतालों, ECHS पॉलीक्लिनिक और इसके पैनल में शामिल अस्पतालों में मुफ्त इलाज करा सकेंगे।
इस मामले में द इंडियन एक्सप्रेस ने खबर प्रकाशित की थी और ऐसे ऑफिसर कैडेट्स की परेशानी को सामने रखा था जिन्हें देश के शीर्ष मिलिट्री ट्रेनिंग संस्थाओं से मेडिकल ग्राउंड के आधार पर बाहर कर दिया गया था। ऐसे सभी कैडेट्स दिव्यांग हैं और उन्हें पूरी सुविधाएं भी नहीं मिलतीं।
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द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट का सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार और सशस्त्र बलों से जवाब देने के लिए कहा था। इसके बाद रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले Department of Ex-Servicemen Welfare (DESW) ने शुक्रवार को आदेश जारी किया है।
DESW ने आदेश में कहा है कि मेडिकल वजह से जिन ऑफिसर कैडेट्स को ट्रेनिंग से बाहर कर दिया जाता है उन्हें अब ECHS के तहत मेडिकल सुविधाएं दी जाएंगी।
आदेश में यह भी कहा गया है कि ECHS की सुविधा उनके लिए पूरी तरह मुफ्त होगी। मतलब यह कि सेना के पूर्व जवानों यानी ESM को इस सेवा के लिए जो 1.20 लाख रुपये की फीस देनी पड़ती थी, वह इन ऑफिसर कैडेट्स को नहीं देना होगा। यह आदेश तीनों सेनाओं के प्रमुखों और चीफ ऑफ डिफ़ेंस स्टाफ को भेजा गया है।
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मौजूदा वक्त में सभी ESM को ECHS योजना के तहत फायदे मिलते हैं लेकिन ऐसे कैडेट्स जो ट्रेनिंग के दौरान दिव्यांग हुए थे, उन्हें ESM का दर्जा नहीं मिला था, इसलिए उन्हें ECHS योजना का फायदा नहीं मिलता था।
ऑफिसर कैडेट्स लंबे समय से केंद्र सरकार से विकलांगता पेंशन और ESM का दर्जा देने की मांग कर रहे थे क्योंकि इसके बिना उन्हें ECHS से होने वाले फायदा नहीं मिल सकता था।