भारतीय वायुसेना ने बड़ा फैसला लेते हुए MIG-21 एयरक्राफ्ट के उड़ान भरने पर रोक लगा दी है, पूरे एक बेड़े पर ये रोक लगाई गई है। असल में कुछ दिन पहले राजस्थान के हनुमानगढ़ में एक मिग 21 एयरक्राफ्ट दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, उसमें तीन लोगों की मौत हुई थी। उस मामले की तो अभी भी जांच जारी है, लेकिन सुरक्षा को देखते हुए वायुसेना ने मिग 21 के एक पूरे बेड़े की उड़ान पर कुछ समय के लिए रोक लगा दी है।

मिग 21 को लेकर क्या है आगे की योजना?

जानकारी दी गई है कि जब तक राजस्थान हादसे की विस्तृत जांच नहीं हो जाती, दुर्घटना का असल कारण पता नहीं चल जाता, उड़ान भरने पर रोक रहेगी। यहां ये समझना भी जरूरी है कि मिग 21 वायुसेना में पिछले पांच दशकों से सक्रिय है, लेकिन अब चरणबद्ध तरीके से इसे वायुसेना के बेड़े से बाहर करने की तैयारी हो रही है। वर्तमान में भी सिर्फ तीन मिग 21 स्क्वाड्रन काम कर रहे हैं, उन्हें भी 2025 तक हटाया जा सकता है।

अब तक हादसे में कितने मिग 21 ‘शहीद’

अब ये फैसला उस समय लिया गया है जब लगातार कई मिग 21 हादसे का शिकार हो चुके हैं। एक आंकड़ा बताता है कि 1960 के बाद से अब तक कुल 400 मिग 21 विमान हादसे का शिकार हो चुके हैं। लंबे समय से मांग की जा रही थी कि इनकी उड़ान पर रोक लगे। अब फैसला तो हुआ है, लेकिन कब तक के लिए, अभी स्पष्ट नहीं। वैसे वायुसेना के लिए मिग 21 के इस्तेमाल को पूरी तरह खत्म करना अभी मुश्किल है। इसका कारण ये है कि अभी भी भारत के पास उतने एयरक्राफ्ट मौजूद नहीं जिनकी जरूरत है।

वायुसेना के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या?

जानकार बताते हैं कि पाकिस्तान से निपटने के लिए ही भारत के कम से कम 42 स्क्वॉड्रन की जरूरत है, लेकिन वर्तमान आंकड़ा वायुसेना का 32 स्क्वॉड्रन पर टिकता है। वहीं जब आने वाले समय में पुराने विमान रिटायर हो जाएंगे, तब ये संख्या और ज्यादा कम हो जाएगी। उस स्थिति में वायुसेना के पास संसाधनों की कमी पड़ सकती है। अभी के लिए पिछले साल केंद्र सरकार ने 83 तेजस लड़ाकू विमानों को लेकर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ 48,000 करोड़ का एक अहम करार किया है। उसके पूरा होने से वायुसेना के लिए स्थिति सुधर सकती है।