इन दिनों देश में #Me Too मूवमेंट सोशल मीडिया पर छाया हुआ है और कई महिलाओं ने पूर्व में अपने साथ हुई छेड़छाड़ या यौन शोषण की घटनाओं का खुलासा किया है। वहीं हाल ही में हुए एक सर्वे के तहत खुलासा हुआ है कि हमारे देश में यौन उत्पीड़न की 69% घटनाएं ऑफिस कैंपस में ही होती हैं। लोकल सर्किल नामक संस्था द्वारा यह सर्वे किया गया है, जिसमें देशभर से करीब 15000 लोगों ने भाग लिया। इस सर्वे में भाग लेने वाले लोगों में 6,137 महिलाएं थी। इस सर्वे में शामिल लोगों से पता चला है कि करीब एक तिहाई लोगों ने अपने जीवन में यौन शोषण झेला है या फिर वो अपने परिवार में ऐसे शख्स को जानते हैं, जिसने यौन शोषण किया है। इकॉनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, करीब 80 फीसदी लोग कंपनी में अपने साथ हुई छेड़छाड़ की घटना की शिकायत एचआर को नहीं करते हैं।

गौरतलब है कि वर्कप्लेस में छेड़छाड़ पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने साल 2013 में विशाखा गाइडलाइंस एंड द सेक्सुअल हैरेसमेंट ऑफ वूमेंन एट वर्कप्लेस एक्ट, 2013 बनाया था। जिसके तहत महिलाएं छेड़छाड़ या यौन शोषण की स्थिति में यहां शिकायत कर सकती हैं, जिसके बाद आरोपी पर कार्रवाई की जाएगी। हालांकि ताजा सर्वे से पता चला है कि विशाखा कमेटी भी वर्कप्लेस में छेड़छाड़ रोकने में अभी तक सफल साबित नहीं हो पा रही है। सुप्रीम कोर्ट की वकील करुणा नंदी का कहना है कि विशाखा कमेटी इसलिए ज्यादा सफल नहीं हो पा रही है क्योंकि इसमें महिलाओं को मामले की जांच में भेदभाव होने का डर रहता है। इसके साथ ही महिलाएं वर्कप्लेस पर आमतौर पर पॉवरफुल व्यक्ति के खिलाफ शिकायत करने से डरती हैं।

सर्वे के अनुसार, यौन शोषण की पीड़ित महिलाओं में से 50 प्रतिशत ने शारीरिक छेड़छाड़ का सामना किया है। जबकि 31 प्रतिशत महिलाओं ने पोर्न दिखाने या फब्तियां कसने के मामले झेले। वहीं 19 प्रतिशत महिलाओं से शारीरिक संबंध बनाने की मांग की गई। सर्वे में शामिल महिलाओं ने भी माना कि भारत में वर्कप्लेस पर यौन शोषण काफी होता है। हालांकि करियर के डर से या नौकरी छूटने और नाम बदनाम होने के डर से अधिकतर महिलाएं इसकी शिकायत नहीं करती हैं।