मुख्यमंत्री आवास के सामने निगमों के बकाए की मांग को लेकर धरने पर बैठे तीनों महापौरों को सुबह से लेकर सर्द रात तक काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उनके लिए खाने पीने का इंतजाम कार्यकर्ताओं की ओर से किया जा रहा है, वहीं रात में सोने के लिए रजाई कर्मचारियों की ओर से मुहैया कराई जा रही है। सुबह उठकर महापौर खुद सफाई करते हैं। इस दौरान उन्होंने स्वाचालित शौचालयों की गंदगी का भी अहसास हुआ।

वहीं, रात में मच्छर महापौरों को सोने नहीं दे रहे हैं। निगम सदन में आए दिन शौचालयों की गंदगी और मच्छरों से बचने के लिए दवा के छिड़काव को लेकर गरमागरम बहस होती रहती है, लेकिन दिसंबर की सर्द रात में दिल्ली के प्रथम नागरिक महापौर को अब समझ में आ गया है कि आम नागरिक किस तरह मच्छरों और दुर्गंध भरे शौचालय के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। सुबह से शाम तक महापौर धूल में नहा रहे हैं। ठंड के मौसम में मुख्यमंत्री आवास के बाहर भीगी रजाई से रात काटने वाले पूर्वी दिल्ली के मेयर निर्मल जैन कहते हैं कि कोई कार्यकर्ता खाना ले आता है तो भूख में पेट भरने का काम चल जाता है। लेकिन भीगी रजाई में रात काटना मुश्किल हो रहा है।

सवेरे मोबाइल टॉयलेट की दुर्गंध और लोगों की चहल कदमी नींद खोल देती है। उत्तरी दिल्ली के महापौर जयप्रकाश कहते हैं कि चार रातें खुले आसमान के नीचे बीत चुकी है। हमने यह फैसला किया है कि मुख्यमंत्री जब तक हमसे मिलेंगे नहीं हम बिना नहाए और कपड़ा बदले उनके आवास पर बैठे रहेंगे। दक्षिणी दिल्ली की महापौर अनामिका मिथलेश का कहना है कि चार दिनों से रात बिताने में क्या परेशानी है यह व्यक्त नहीं किया सकता है।

एक महिला होकर खुले आसमान में सोने में क्या दिक्कतें होती है इसका एहसास हो रहा है। रात दो से तीन बजे हमें थोड़ी नींद आती है लेकिन सुबह पांच बजे के बीच गाड़ियों की आवाजाही से नींद खुल जाती है।

मुख्यमंत्री आवास के बाहर सजेगा निगम कार्यालय
दिल्ली के तीनों महापौर ने सोमवार से मुख्यमंत्री आवास के बाहर से ही अपना कार्यालय चलाने का फैसला किया है। उत्तरी निगम के महापौर जयप्रकाश, दक्षिण की अनामिका मिथिलेश व पूर्वी निगम के महापौर निर्मल जैन ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास के बाहर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पांच दिनों से मुख्यमंत्री ने महापौरों से मिलने की कोशिश नहीं की। जब तक मुख्यमंत्री तीनों निगमों का बकाया 13000 करोड़ रुपए नहीं देते हैं तब तक हम लगातार उनके घर के बाहर धरने पर बैठे रहेंगे। दिल्ली के सारे विकास कार्य रुक गए हैं।