बसपा मुखिया मायावती ने राजग सरकार के अटल बिहारी वाजपेयी और मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का जिक्र करते हुए राष्ट्रीय सम्मान देने में कांशीराम जैसे दलित महापुरुषों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। उन्होंने केंद्र सरकार को महत्वपूर्ण मुद्दों पर कानून बनाने के लिए ‘अध्यादेश’ का रास्ता अपनाने के लिए भी आड़े हाथ लिया।

मायावती ने शनिवार को पत्रकारों से कहा-एक ही जाति के दो व्यक्तियों, वाजपेयी और मालवीय को हाल ही में भारत रत्न से सम्मानित करके राजग सरकार ने अपनी पूर्ववर्ती कांग्रेसनीत यूपीए सरकार की ही तरह पक्षपात पूर्ण व्यवहार किया है। कांशीराम के त्याग और योगदान को देखते हुए उन्हें भी राष्ट्रीय सम्मान मिलना चाहिए। इसी तरह शिक्षा व समतामूलक समाज निर्माण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पिछड़े वर्ग के महापुरुष ज्योतिबा फुले भी इस राष्ट्रीय सम्मान के हकदार हैं। ऐसे बहुत से महापुरुषों की उपेक्षा हुई है, जो राष्ट्रीय सम्मान के योग्य हैं।

भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन के लिए जारी अध्यादेश की ओर इशारा करते हुए मायावती ने कहा-महत्वपूर्ण कानून बनाने या उसमें संशोधन के लिए अध्यादेश का रास्ता अपनाना संविधान की मूल भावना के विपरीत है। भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के बारे में टिप्पणी करते हुए मायावती ने इसे किसान विरोधी बताते हुए कहा-मैं इसे उचित नहीं मानती। संशोधन संसद के अगले सत्र में लाया जा सकता था।

नरेंद्र मोदी सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताते हुए, मायावती ने कहा कि पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए संविधान की मूल भावना की अनदेखी करते हुए कानून में बदलाव किया जा रहा है। उन्होंने कहा-मोदी सरकार पूंजीपतियों के हाथों में खेल रही है। चुनाव में पूंजीपतियों की सहायता से जीती भाजपा अब उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए हर हथकंडा अपना रही है। बसपा मुखिया ने भाजपा से जुड़े संगठनों पर निशाना साधते हुए कहा कि धर्मांतरण और हिंदू राष्ट्र की बात करके सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश हो रही है।

मोदी सरकार की आलोचना करते हुए मायावती ने कहा कि सात महीने पूरे कर चुकी सरकार के कामकाज से ऐसा लगता है कि वह गरीबों और कमजोर तबकों के हितों की रक्षा में दिलचस्पी नहीं रखती। उन्होंने मोदी सरकार पर कई कल्याणकारी योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल देने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा का ड्रामा बहुत दिन चलने वाला नहीं है, खासकर उत्तर प्रदेश में।

बसपा मुखिया ने यह आरोप भी लगाया कि सरकारी विभागों के बहुत से काम निजी क्षेत्र को देकर केंद्र सरकार एक साजिश के तहत दलितों और पिछड़े वर्ग को मिले आरक्षण के अधिकार को निष्प्रभावी बना रही है। योजना आयोग की जगह नीति आयोग बनाने के मामले में पूछे जाने पर मायावती ने कहा कि सरकार को गरीबों और बेरोजगारों की समस्याओं का समाधान करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा-केवल नाम बदल देने से देश में कोई बदलाव आने वाला नहीं है।