राजनीति में अक्सर राजनैतिक पार्टियां अपने तरकश के तीरों को छिपाकर रखती हैं, ताकि वक्त आने पर विरोधी पार्टियों को चौंकाया जा सके। ऐसा ही कुछ छत्तीसगढ़ में बसपा और अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के गठबंधन में भी देखने को मिला है। बता दें कि गुरुवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने छत्तीसगढ़ में जनता कांग्रेस के साथ गठबंधन का ऐलान कर दिया है। दोनों पार्टियों के गठबंधन की बात को इतना छिपाकर रखा कि किसी को इसकी भनक तक नहीं लग सकी। मध्य प्रदेश में बसपा के साथ गठबंधन की उम्मीद लगाए बैठी कांग्रेस को भी मायावती ने बड़ा झटका देते हुए राज्य में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के साथ गठबंधन के लिए कोई औपचारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी नहीं की गई। साथ ही जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष अजीत जोगी भी सड़क मार्ग से लखनऊ पहुंचे, ताकि रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट पर वीवीआईपी मूवमेंट से इस बारे में कोई अंदाजा भी ना लगाया जा सके।

लखनऊ पहुंचने के बाद अजीत जोगी को वीवीआईपी गेस्ट हाऊस में ठहराया गया। स्थानीय मीडिया को इस संबंध में जानकारी थी, लेकिन किसी को भी अजीत जोगी के लखनऊ आने का उद्देश्य नहीं पता था। गठबंधन का ऐलान करते हुए मायावती ने बताया कि दोनों पार्टियां आगामी छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में मिलकर मैदान में उतरेंगी। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जहां 55 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, वहीं बसपा 35 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। मायावती ने बताया कि यदि उनके गठबंधन को जीत मिलती है तो सीएम अजीत जोगी को बनाया जाएगा। वहीं कांग्रेस महासचिव और छत्तीसगढ़ इंचार्ज पीएल पुनिया ने इस गठबंधन के ऐलान के बाद कहा कि “हमें बसपा की तरफ से गठबंधन का प्रस्ताव मिला था, लेकिन कांग्रेस अकेले ही चुनाव लड़ेगी और राज्य में सरकार बनाएगी।”

हालांकि राजनीति के जानकारों का मानना है कि छत्तीसगढ़ में बसपा और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का गठबंधन कांग्रेस के लिए गंभीर चुनौती खड़ी कर सकता है। वहीं दूसरी तरफ मायावती ने मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस को करारा झटका दिया है। जहां कांग्रेस राज्य में बसपा के साथ गठबंधन की कोशिशों में थी, वहीं मायावती ने गुरुवार को मध्य प्रदेश की 22 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने मध्य प्रदेश की सभी 230 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है।