Ranthambore Tiger Reserve: रणथम्भौर के जंगल में रेंज ऑफिसर देवेंद्र चौधरी की टाइगर के हमले में मौत हो गई। टाइगर देवेंद्र को मुंह में दबाकर जंगल में ले गया। देवेंद्र की बॉडी रिकवर कर ली गई है। पिछले साल राजस्थान के फेमस रणथम्भौर टाइगर रिजर्व की कई सफारी के दौरान एक अनुभवी इतिहासकार ने बार-बार कुछ अलग चीजें देखीं थी। इसमें पदम तालाब, राजबाग और मलिक तालाब झीलों के आसपास के टूरिस्ट एरिया की ओर जाने वाले जोगी महल गेट पर सड़क के किनारे दीवार से कुछ मीटर की दूरी पर झाड़ियों के किनारे टाइगर बैठे थे।
उन्होंने देखा कि इन टाइगर्स की नजर दीवार के पीछे बने दो छोटे कमरों में से एक पर टिकी हुई थी। करीब से देखने पर उन्हें बंद दरवाजों के दूसरी तरफ एक भैंस की धीमी आवाज सुनाई दी। पता चला कि वन कर्मचारी उस कमरे का इस्तेमाल एक जिंदा भैंस को रखने के लिए कर रहे थे। इसे एरोहेड नाम की एक बाघिन के चारे के तौर पर पेश किया जाता है।
एक अनुभवी ने ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारियों को वॉर्निंग दी थी कि उन्हें टाइगर्स को इतने करीब लाने की कीमत चुकानी पड़ सकती है। इंडियन एक्सप्रेस को एक सूत्र ने बताया कि वन रेंज अधिकारी देवेंद्र सिंह चौधरी की कुछ ही मीटर की दूरी पर मार दिया था। यह एक महीने से भी कम समय में रणथंभौर के अंदर दूसरी मौत थी।
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यह अनदेखी का नतीजा – एक्सपर्ट
एक्सपर्ट ने कहा कि यह यह अनदेखी का ही नतीजा है। जोगी महल, रणथम्भौर किला और गणेश मंदिर के आसपास लगभग पांच वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में 15 बाघ घूमते हैं। यह वही जगह हैं जो हर रोज टूरिस्टों को आकर्षित करते हैं। इनमें से 9 बाघ जिंदा चारे के आदी हैं। इनमें से 6 तो जन्म से ही जिंदा चारे के आदी हैं। भैंस के बछड़ों के साथ लगभग दो सालों तक लगातार जिंदा चारा डालना। कम से कम एक हफ्ते में एक बार। बाघों के असामान्य व्यवहार के कई उदाहरणों को नजरअंदाज किया गया। पिछले महीने एक बाघिन द्वारा एक गार्ड पर हमला करने और सात साल के एक लड़के को मार डालने के बाद उसे दूसरी जगह पर भेजने का प्रस्ताव नहीं माना गया था।
लोगों का पीछा करने की आदत डाल चुके बाघ
बढ़ती विकलांगता के कारण एरोहेड ने जल्द ही दो मादा और एक नर के साथ अपना चौथा शावक पैदा किया। शावकों के लिए चिंतित, वन विभाग ने अगस्त 2023 में एरोहेड को जिंदा भैंस का चारा देना शुरू कर दिया। अब चारा खाने और लोगों का पीछा करने की आदत डाल चुके छह युवा बाघों में से एरोहेड के तीन मुख्य रणथंभौर मार्ग पर अक्सर घूमते रहते थे। यहां पर टूरिस्ट और गणेश मंदिर के तीर्थयात्रियों की भीड़ लगी रहती थी। उनमें से बाघिन कंकती सबसे ज्यादा बेपरवाह निकली। पहला हमला 13 अप्रैल को हुआ जब एक बाघिन ने जोगी महल के बाहर वन रक्षक बाबू पर हमला किया। उसने बाघिन को पहचान लिया और कंकती पर चिल्लाया, लेकिन बाघिन के पीछे हटने से वह खरोंच खाकर बच गया।
कुछ बाघ खतरनाक हो जाते हैं – वाल्मीक थापर
वाल्मीक थापर करीब पिछले पांच दशकों से रणथंभौर में बाघों पर नजर रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई बाघ किसी इंसान को मारता है, तो उसे दूसरी जगह बसाना चाहिए। बाघों के भविष्य की रक्षा करना हमारा काम है, लेकिन मानव-हत्यारों और नरभक्षियों को खुलेआम घूमने देना हमारा काम नहीं है। कुछ बाघ खतरनाक हत्यारे बन जाते हैं और उन्हें भी उसी तरह जेल में डाला जाना चाहिए, जैसे इंसानों को मारने के लिए किया जाता है। यही एकमात्र तरीका है जिससे इंसान और बाघ भविष्य में जिंदा रह पाएंगे।