अप्रैल 2016 में केंद्र सरकार ने मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी में इजाफा किया है। पश्चिम बंगाल में जहां इसमें दो रुपए का इजाफा हुआ है तो असम में तीन रुपए का इजाफा हुआ है। ऐसे ही झारखंड में पांच रुपए बढ़ाकर अब इसे 167 रुपए प्रतिदिन कर दिया गया है। 17 राज्य ऐसे हैं, जहां पर इस मजदूरी में पांच रुपए से भी कम की बढ़ोतरी की गई है। ओडिशा में कोई इजाफा नहीं हुआ। ऐसे में झारखंड में मनरेगा वर्कर्स ने पीएम मोदी को पांच रुपए अपने मजदूरी में से लौटाकर अपने विरोध जताया है।
पीएम मोदी को कुछ ऐसे लिखा गया है पत्रः-
‘इस साल आपकी सरकार ने मनरेगा की मजदूरी में पांच रुपए का इजाफा किया है। इसके बाद हम अपने आपको बहुत ही लकी समझ रहे हैं, क्योंकि 17 राज्यों में तो यह बढ़ोतरी पांच रुपए भी कम की है। ओडिशा के मनरेगा वर्कर्स की मजदूरी में तो कोई इजाफा ही नहीं किया गया। असल में, हम बहुत चिंतित हैं। सरकार के पास पैसों कि कमी है, इसलिए वह न्यूनतम मजदूरी के हिसाब से मनरेगा मजदूरी नहीं बढ़ा सकती। (आपकी जानकारी के लिए-झारखंड में न्यूनतम मजदूरी 212 रुपए प्रतिदिन है)। आपकी सरकार के खर्चे बहुत ज्यादा हैं, ऐसे में हमने महसूस किया कि आपको एक्स्ट्रा पांच रुपए की जरूरत है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए आपको सरकारी कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन पर 1 लाख करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करना होगा। आपको बड़ी कंपनियों को टैक्स में छूट देने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने चाहिए, साथ ही उन्हें सस्ती जमीन और अन्य संशाधन देने होंगे। इन सबके बारे में सोचते हुए मनरेगा वर्कर्स ने फैसला किया है कि हम हमारे एक दिन के एक्स्ट्रा पांच रुपए लौटाकर सरकार की मदद करेंगे। हमें उम्मीद है कि यह आपके कॉरपोरेट दोस्त और सरकारी कर्मचारियों को खुश करने में मदद करेगा।’