बीते दिनों में नेशनल काउंसलि ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने सिलेबिस में कई बदलाव किए हैं। अब एनसीईआरटी के 11वीं के सिलेबस में बड़ा बदलाव किया गया है। इसमें देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का जिक्र 11वीं की पॉलिटिकल साइंस की किताब से हटा दिया गया है। पुरानी किताब में जिस जगह अबुल कलाम का जिक्र था, वो पन्ना किताब से गायब है। एनसीईआरटी की किताब से पिछले दिनों महात्मा गांधी से जुड़े कई बातों का जिक्र सिलेबस से हटाया गया था।

संविधान के चैप्टर से हटाया गया शिक्षा मंत्री का नाम

एनसीईआरटी की 11वीं की पॉलिटिकल साइंस की किताब के सिलेबस के पहले चैप्टर में संविधान के इतिहास के बारे में बताया गया है। ‘संविधान- क्यों और कैसे’ टाइटल से चैप्टर है, जिसमें संविधान सभा समिति में शामिल होने वाले सदस्यों से मौलाना अबुल कलाम का जिक्र हटा दिया गया है। बदलाव कर किताब में लिखा गया है, “ज्यादातर जवाहर लाला नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल और बी आर अंबेडकर संविधान सभा समितियों की अध्यक्षता करते थे।”

जम्मू-कश्मीर को लेकर भी किया बदलाव

मौलाना अबुल कलाम आजाद ने संविधान का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस समय उन्होंने भारत की नई संविधान सभा के चुनावों में कांग्रेस का नेतृत्व किया। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अपने छठे वर्ष में ब्रिटिश कैबिनेट मिशन के साथ बातचीत करने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भी किया था। इतना ही नहीं किताब से जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद-370 को सुरक्षित रखने के पहलू को भी हटा दिया गया है।

महात्मा गांधी से जुड़ी ये बातें भी हटाई गईं-

  • गांधी उन लोगों द्वारा विशेष रूप से नापसंद थे जो चाहते थे कि हिंदू बदला लें या जो चाहते थे कि भारत हिंदुओं के लिए एक देश बने।
  • हिंदू-मुस्लिम एकता के उनके दृढ़ प्रयास ने हिंदू चरमपंथियों को इतना उकसाया कि उन्होंने गांधी जी की हत्या के प्रयास किए।
  • गांधी जी की मृत्यु का देश में सांप्रदायिक स्थिति पर प्रभाव पड़ा।
  • भारत ने सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाले संगठनों पर नकेल कसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया।