राज्यसभा में मातृत्व लाभ संशोधन विधेयक Maternity Benefit (Amendment) Bill 2016 पास हो गया है। केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने गुरुवार को बिल सदन में पेश किया। इसका उद्देश्य कामकाजी महिलाओं का मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करना है। बिल को पेश करने के सदन में बहस हुई। संसद सदस्य रजनी पाटिल ने चर्चा के दौरान बिल पर निशाना साधा। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर किसी प्रतिष्ठान में 10 महिलाएंं काम करती है, तो वहां पालने (Creche) का प्रावधान रखा जाना चाहिए है। कुछ कंपनियां महिलाओं को रोजगार देना पंसद नहीं करेंगी क्योंकि उन्हें मैटरनिटी सुविधाएं देनी होंगी। उन्होंने कहा कि मैटरनिटी सुविधाएं (मात़ृृत्व लाभ) को असंगठित कर्मचारियों तक बढ़ाना चाहिए।
चर्चा के दौरान डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा, ‘सेरोगेट मदर को भी मातृत्व लाभ मिलना चाहिए। महिलाओं को बच्चा पैदा करने वाली मशीन की तरह ट्रीट नहीं किया जाना चाहिए।’ इस पर मेनका गांधी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि एक सेरोगेट मदर को सिक लीव दिया जाएगा, लेकिन मैटरनिटी लाभ नहीं क्येंकि वह बच्चे के साथ नहींं रहती है। इस पर बीएसपी सासंद सतीश चंद्र मिश्र ने पूछा- सेरोगेट मदर बिल के दायरे में आतीं हैं तो मेनका गांधी को स्पष्ट करना चाहिए कि छुट्टी अगर पोस्ट प्रेग्नेंसी में मिलेगी, तो इस लिहाज से सेरेगेेट चाइल्ड को जन्म देने वाली मां कैसे इसमें कवर होगी।
महिला एवं शिशु-कल्याण मिनिस्टर मेनका गांधी ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि मैटरनिटी लीव कोई छुट्टी नहीं है, यह महिलाओं के लिए बहुत कष्टकारी समय होता है। तृणमूूल कांग्रेस की डोला सेन ने कहा कि पश्चिम बंगाल में पैटरनिटी लीव शामिल है, जो कि प्रोग्रेसिव है, केंद्र सरकार को भी इस पर विचार करना चाहिए। उन्होंने सुझाया कि मैटरनिटी लीव फ्लेक्सिबल (लचीला) होना चाहिए ताकि काम करनेे वाली महिला उसे आसानी से चुन सके।
जया बच्चन ने कहा, मैं खुश हूं कि कैसे पुरुष महिलाओं के विधेयक पर चर्चा कर रहे है, वो भी ऐसे समय पर जब हम जानते हैं कि महिलाओं के साथ यहां कैसा व्यवहार किया जाता है, ये हिप्पोक्रेसी है।

