पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित अरण्य ऋषि मारुति चितमपल्ली का निधन हो गया। अरण्य ऋषि मारुति चितमपल्ली का बुधवार को 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें 30 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पुरस्कार समारोह के दौरान दिल्ली से लौटने के बाद से ही उनकी हालत गंभीर थी। 18 जून की करीब 7 बजे सोलापुर स्थित उनके आवास पर उनका निधन हो गया।
अरण्य ऋषि वर्धा के महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में रहते थे। समिति के अध्यक्ष मुरलीधर बेलखोड़े बताते हैं कि हमारे पार्क में मारुति चितमपल्ली नाम से एक उद्यान भी है। इसमें अब कई तरह के दुर्लभ पेड़ उग आए हैं। उनके मार्गदर्शन में लगातार तीन वर्षों तक पार्क में पेड़ लगाए गए। उन्होंने दुर्लभ पौधों का गहन अध्ययन किया था। बेलखोड़े बताते हैं कि वे घने जंगल में होने वाली प्रत्येक घटना के कारण-संबंध की व्याख्या करते थे। जब जंगल में कोई घटना घटती है तो उसका अन्य जीवों पर क्या प्रभाव पड़ता है, इस पर भी वो चर्चा करते थे।
‘मेकअप, परफ्यूम लगाकर जंगल में जाना ठीक नहीं’
अरण्य ऋषि मारुति चितमपल्ली का कहना था कि जंगली जानवर कभी भी इंसानों पर सीधा हमला नहीं करते। जब हम जंगल में होते हैं तो जानवर हमें सूंघ लेते हैं। इस गंध से जानवर हमें खतरा समझते हैं। ऐसे में वे एक-दो किलोमीटर दूर से ही हमारा पीछा करते हैं। वो कहते थे कि मेकअप, परफ्यूम और पाउडर लगाकर जंगल में जाना ठीक नहीं है। इससे जानवर सतर्क हो जाते हैं और खुद को सुरक्षित रखते हैं। चितमपल्ली ने सलाह दी कि जंगल में घूमते समय पर्यटकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें कोई गंध न आए और जानवर डरें नहीं।
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कौन हैं अरण्य ऋषि मारुति चितमपल्ली?
मारुति चितमपल्ली ने 36 वर्षों तक वन विभाग में अपनी सेवाएं दी हैं। इस दौरान उन्होंने रिसर्च के लिए पूरे देश का भ्रमण किया और 5 लाख किलोमीटर की यात्रा की। वे 18 भाषाओं के जानकार हैं। उन्होंने वन वाचन के साथ-साथ पशु-पक्षियों और पौधों की विशेषताओं का विवरण देने वाली 25 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। वे महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में रहते थे। विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी बुद्धदास मिराज बताते हैं कि 2017 में वे विश्वविद्यालय के नागार्जुन अतिथि गृह में रहने आए थे। यहां उनसे मिलने कई लोग आते थे लेकिन वे मिलने नहीं आते थे क्योंकि इससे उनका लेखन कार्य बाधित होता था। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स