तबलीगी जमात के मुख्यालय मरकज निजामुद्दीन मामले में मंगलवार को जो तथ्य सामने आए उससे सरकारी तंत्र व आला अधिकारी भी कटघरे में हैं। आयुक्त तक के संज्ञान में यह मामला था। लगातार बैठकें चल रही थीं और मेडिकल टीम ने भी तहसीलदार के साथ यहां का दौरा किया था। मरकज मुख्यालय की ओर से बताया गया कि 25 को मेडिकल टीम के दौरा करने के बाद 27 मार्च को कुछ लोग जांच के लिए भेजे भी गए थे।
कोरोना संकट के बीच धार्मिक कार्यक्रम के चलते सुर्खियों में आई तबलीगी जमात के मुख्यालय मरकज निजामुद्दीन ने मंगलवार को कुछ तथ्य जारी कर कहा कि उसने कानून के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया है। उसने अपने परिसर में क्वारंटाइन सेंटर स्थापित करने की भी पेशकश की है। मरकज ने एक बयान में कहा कि वह प्रशासन के साथ पूरा सहयोग करेगा। मरकज ने कानूनी कार्रवाई के दिल्ली सरकार के निर्देश का हवाला देते हुए कहा-इस पूरे घटनाक्रम के दौरान मरकज ने कभी कानून के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया। हमने लोगों को आइएसबीटी या सड़कों पर नहीं जाने देकर चिकित्सा दिशानिर्देश का उल्लंघन नहीं होने दिया।
उन्होंने कहा-जब जनता कर्फ्यू का एलान हुआ, तो बहुत सारे लोग मरकज में रह रहे थे। 22 मार्च को मरकज बंद कर दिया गया। बाहर से किसी भी आदमी को नहीं आने दिया गया। मरकज ने कहा-जो लोग मरकज में रह रहे थे उन्हें घर भेजने का इंतजाम किया जाने लगा। 21 मार्च से ही रेल सेवाएं बंद होने लगी थी, इसलिए बाहर के लोगों को भेजना मुश्किल था। बावजूद दिल्ली के करीब 1500 लोगों को घर भेजा गया। करीब 1000 लोग मरकज में बच गए थ
भेजने की इजाजत मांगी लेकिन नहीं मिली
मरकज निजामुद्दीन का दावा है कि पूर्णबंदी के बाद से ही वे यहां बचे करीब हजार लोगों को भेजने के लिए लगातार अधिकारियों के सपंर्क में रहे। स्थानीय एसएचओ, एसडीएम तक अर्जी दी गई। एसडीएम के कहने पर यहां मौजूद लोगों के नाम-पते मुहैया कराए गए। जब उन्होंने पाया कि लोग दूरदराज के हैं लिहाजा उन्होंने कोई फैसला नहीं लिया। मरकज निजामुद्दीन इन लोगों को वहीं रखा जहां वे पूर्णबंदी से पहले पहुंच चुके थे। बकौल मरकज निजामुद्दीन स्थानीय पुलिस के नोटिस का दवाब 24 मार्च को ही दे दिया गया था। संबंधित एसडीएम से वाहन पास जारी करने का अनुरोध किया गया था। ड्राइवरों के नाम के साथ पंजीकरण संख्या के साथ 17 वाहनों की सूची और साथ ही उनके लाइसेंस विवरण भी एसडीएम को प्रस्तुत किए गए थे। अपेक्षित अनुमति अभी भी लटकी रही। 25 मार्च को तहसीलदार ने मेडिकल टीम के साथ मरकज का दौरा किया। 26 मार्च को एसडीएम ने दौरा किया और डीएम को यहां बुलाया। डीएम ने उन्हें फंसे हुए आगंतुकों से अवगत कराया और एक बार फिर हमारे द्वारा व्यवस्थित वाहनों की अनुमति मांगी। 27 मार्च तक छह लोगों को चिकित्सा जांच के लिए ले जाया गया।

