Canada Election Liberal party Victory: कनाडा के चुनाव में मार्क कार्नी और उनकी लिबरल पार्टी (Liberal Party) को जीत मिली है। कनाडा एक ऐसा देश है, जहां बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं। विशेषकर पंजाब-हरियाणा से बड़ी संख्या में भारतीय छात्र पढ़ने या नौकरी करने के लिए कनाडा जाते हैं। भारत हमेशा से चाहता है कि कनाडा के साथ उसके संबंध मजबूत रहें और वहां की सरकार खालिस्तानी तत्वों पर रोक लगाई जाए जिससे सिख कट्टरपंथियों के हौसले मजबूत ना हों।
ऐसे में भारत और कनाडा के रिश्तों के लिहाज से यह जानना जरूरी होगा कि लिबरल पार्टी की जीत की भारत के लिए क्या अहमियत है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिबरल पार्टी की जीत के बाद कार्नी को बधाई दी।
ट्रूडो के कार्यकाल में खराब हुए थे रिश्ते
बताना जरूरी होगा कि पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में भारत और कनाडा के रिश्ते बेहद खराब दौर में पहुंच गए थे लेकिन अपने चुनाव अभियान के दौरान कार्नी ने भारत के साथ अपने संबंधों को फिर से ‘बनाने’ को प्राथमिकता बताया था।
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हरदीप सिंह निज्जर की हत्या
भारत और कनाडा के रिश्ते तब खराब होने शुरू हुए थे जब साल 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर कनाडाई नागरिक और खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कर दी गई थी। ट्रूडो सरकार ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाया था।
उस दौरान दोनों देशों के बीच तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया था और लगातार बयानबाजी के बाद अक्टूबर, 2024 में कनाडा ने छह भारतीय राजनीतिकों को निष्कासित कर दिया था। हालांकि भारत ने निज्जर की हत्या में उसका हाथ होने से पूरी तरह इनकार किया था और आरोपों को खारिज कर दिया था।
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दोनों देशों के बीच तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया था, जब दोनों ही देशों ने शीर्ष दूतों को निष्कासित कर दिया था, व्यापार को लेकर होने वाली बातचीत को रोक दिया था और आधिकारिक यात्राओं पर भी रोक लगा दी गई थी। इस तरह ट्रूडो की सरकार में भारत और कनाडा के रिश्ते निश्चित रूप से खराब हो गए थे। ट्रूडो के शासन के दौरान सिख कट्टरपंथियों ने कई बार हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की थी।
भारत खालिस्तानी तत्वों को अपने लिए खतरा मानता है। भारत चाहता है कि नई सरकार में खालिस्तानी तत्वों को बढ़ावा ना मिले। मार्क कार्नी ने सत्ता संभालने के बाद सार्वजनिक रूप से भारत के साथ अच्छे संबंधों पर जोर दिया है। उन्होंने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद अपनी संवेदनाएं व्यक्त की थी।
भारत को ऐसी उम्मीद है कि नई सरकार उसकी चिंताओं को समझेगी।