महाराष्ट्र में जारी मराठा आरक्षण को लेकर विवाद अब ठंडा पड़ सकता है। मराठा आरक्षण के नेता मनोज जरांगे ने 9 दिन बाद अपना अनशन खत्म कर दिया है, उनकी तरफ से सरकार को भी दो महीने का अल्टीमेटम दिया गया है। अगर दो महीने तक आरक्षण पर फैसला नहीं हुआ तो एक बार फिर अनशन शुरू किया जा सकता है।
मराठा आरक्षण की मांग का क्या हुआ?
मीडिया से बात करते हुए मनोज जरांगे ने कहा कि राज्य सरकार ने हमसे समय मांगा था। जब 40 साल इंतजार किया तो कुछ समय और सही। लेकिन मैं साफ कर दूं ये आरक्षण रुकेगा नहीं, जो समय आपको दिया भी जा रहा है, ये आखिरी बार है। वैसे इस समय कई लोगों पर हुई FIR वाला विवाद भी चल रहा है, मुकदमों को वापस लेने पर जोर दिया जा रहा है। अब जरांगे ने इस बारे में बताया है कि सरकार ने दो दिन का वक्त मांगा है, सभी मुकदमे वापस लिए जाएंगे।
जानकारी के लिए बता दें कि सोमवार को राज्य के बीड जिले में मराठा आंदोलनकारियों ने एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके के आवास पर हमला कर आग लगा दी lR। संयोग से घर में मौजूद विधायक, उनका परिवार और स्टाफ बाल-बाल सुरक्षित बच गया, हालांकि संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा था। यहां ये समझना जरूरी है कि राज्य में मराठा आरक्षण की मांग बहुत पुरानी है। इसे लेकर लोग कई बार सड़कों पर उतर चुके हैं।
पुरानी है आरक्षण की मांग
पिछले सितंबर में जालना में आंदोलनकारियों पर हुए लाठी चार्ज के बाद कार्यकर्ताओं ने हिंसक रूप अपना लिया था। हिंसा में 42 पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हो गए। कई बसों को आग के हवाले कर दिया गया तोड़फोड़ भी की गई थी। वैसे ये कोई पहली बार नहीं है जब महाराष्ट्र में आरक्षण को लेकर ऐसा हिंसक प्रदर्शन हुआ है। कई सालों कई दल इसी मुद्दे को हवा देकर अपनी सियासत को चमकाते आ रहे हैं। ये अलग बात है कि कानूनी दाव-पेंच की वजह से उस आरक्षण पर कभी मुहर नहीं लग पाती।