Chhattisgarh Police: छत्तीसगढ़ पुलिस ने मंगलवार को कहा कि वे प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय समिति के नाम से जारी एक पत्र की प्रामाणिकता की जांच कर रहे हैं। जिसमें दावा किया गया है कि वो विद्रोही “सशस्त्र संघर्ष को अस्थायी रूप से रोकने की घोषणा” करने और सरकार के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं।
यह पत्र ऐसे समय में आया है जब छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों द्वारा माओवादियों के खिलाफ अभियान तेज करने के कारण उन्हें लगातार हमलों का सामना करना पड़ रहा है। जिसमें उनके शीर्ष नेताओं की हत्या भी शामिल है।
‘सशस्त्र संघर्ष को अस्थायी रूप से त्यागना (Temporarily Abandoning the Armed struggle)’ शीर्षक वाला यह पत्र कथित तौर पर 25 अगस्त को लिखा गया था और मंगलवार को सार्वजनिक किया गया।
पत्र में कहा गया है कि माओवादी “शांति वार्ता की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहे हैं” और प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री द्वारा उनसे हथियार डालने के “लगातार अनुरोध” का भी ज़िक्र किया गया है। कथित पत्र में कहा गया है कि हमने सशस्त्र संघर्ष पर अस्थायी रोक लगाने का फ़ैसला किया है। हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि भविष्य में जहां तक संभव होगा, हम जन मुद्दों पर सभी राजनीतिक दलों और संघर्षरत संगठनों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ेंगे।
इसमें यह भी कहा कि वे केंद्रीय गृह मंत्री या उनके द्वारा नियुक्त व्यक्तियों या किसी प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं। साथ ही सुझाव दिया कि वीडियो कॉल के ज़रिए बातचीत की जाए। इसने सरकार से माओवादियों के खिलाफ तलाशी अभियान रोकने की भी अपील की।
इसके अलावा, इस नए दृष्टिकोण के संबंध में देश भर के विभिन्न राज्यों में काम कर रहे साथियों और जेल में बंद लोगों से परामर्श करने के लिए एक महीने का समय मांगा गया।
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पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि हम इस पत्र की पुष्टि कर रहे हैं। अगर इस पत्र में सच्चाई है तो हम इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि शांति वार्ता में जो हमेशा बाधा आती है, वह यह है कि उन्हें (माओवादियों) पहले अपने हथियार डालने होंगे।
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने कहा कि हमने भाकपा (माओवादी) केंद्रीय समिति की ओर से हथियार डालने और शांति वार्ता की संभावना के बारे में जारी एक प्रेस विज्ञप्ति का संज्ञान लिया है। इस विज्ञप्ति की प्रामाणिकता की पुष्टि की जा रही है और इसकी विषयवस्तु की सावधानीपूर्वक जांच की जा रही है। यह दोहराया जाता है कि भाकपा (माओवादी) के साथ बातचीत या वार्ता का कोई भी निर्णय पूरी तरह से सरकार के हाथ में है, जो स्थिति और परिस्थितियों पर उचित विचार-विमर्श और आकलन के बाद उचित निर्णय लेगी।
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