रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने सोमवार को कड़े शब्दों में कहा कि जो भी व्यक्ति या संगठन भारत को दर्द देगा, उसे उसी तरह से भुगतान करना होगा। लेकिन यह कैसे, कब और कहां होगा, वह हमारी पसंद के अनुरूप होगा। रक्षा मंत्री की यह टिप्पणी पठानकोठ आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में सामने आई है।
सेना प्रमुख जनरल दलवीर सिंह सुहाग समेत सेना के शीर्ष अधिकारियों और अन्य लोगों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि इतिहास हमें यह बताता है कि जो लोग नुकसान पहुंचाते हैं, जब तक उन्हें उस दर्द की अनुभूति नहीं होती, वे नहीं बदलते हैं। उन्होंने कहा- यह मेरा मत है, इसे सरकार के सोच के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए। मैं हमेशा से मानता हूं कि अगर कोई आपको नुकसान पहुंचाता है, तब वह उसी भाषा को समझता है। सेना की ओर से आयोजित एक समारोह में पर्रीकर ने कहा- यह कैसे, कब और कहां हो, यह आपकी पसंद होनी चाहिए। कोई इस देश को नुकसान पहुंचाता है, तब उस व्यक्ति या संगठन को ऐसे कार्यों के लिए उसी तरह का दर्द दिया जाना चाहिए।
पर्रिकर ने स्पष्ट किया कि वे ‘व्यक्ति’ या ‘संगठन’ शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। रक्षा मंत्री ने कहा- समय आ गया है कि जब हम अपने सैनिकों को बताएं कि ऐसा हो सकता है कि हमें कुछ सैनिकों का नुकसान हो। हमें उन्हें इस अवधारणा के बारे में सोचने के लिए कहना चाहिए कि आप अपने शत्रु, अपने देश के शत्रुओं की जान लें, बजाए इसके कि अपनी जान दें। यह महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि बलिदान का सम्मान किया जाना चाहिए, देश को जरूरत इस बात की है कि शत्रुओं को खत्म किया जाए। यह पूछे जाने पर कि क्या इसका अर्थ पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की नीति में बदलाव से है, रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर कोई आता है और हथौड़ा मारता है, तो क्या आप चुप रहेंगे? यह कैसी नीति है? उन्होंने कहा- मैं जो आपसे कह रहा हूं वह यह है कि इतिहास हमें बताता है कि जो लोग आपको नुकसान पहुंचाते हैं, अगर उन्हें यह आभास नहीं होता कि इससे क्या दर्द होता है तो वे नहीं बदलेंगे।
सोच बदलने की जरूरत: यह पूछे जाने पर कि क्या इसका अर्थ पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की नीति में बदलाव से है, रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर कोई आता है और हथौड़ा मारता है, तो क्या आप चुप रहेंगे? यह कैसी नीति है?

