रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों के बल प्रयोग के मुद्दे पर कहा कि सेना को गोली चलानी होगी, वह लाठी का इस्तेमाल नहीं कर सकती। उन्होंने विद्रोह और आतंक प्रभावित इलाकों में सेना द्वारा बल प्रयोग का समर्थन किया। उन्होंने कहा, ” मैं सेना को लाठी चलाने की ट्रेनिंग देना नहीं चाहता। सेना का उपयोग कहां पर होगा यह सरकार का फैसला है। हालांकि जहां भी सेना को लगाया गया वहां पूरी ताकत का इस्तेमाल करना होगा नहीं तो सेना का कोई मतलब नहीं।” उन्होंने कहा कि किसी भी परिस्थिति में सेना के सामने ऐसा माहौल नहीं आएगा जब उसका हाथ बंधा हुआ होगा।
उन्होंने कहा, ”हमें राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व को समझना होगा। उत्तरपूर्व को लेकर हाल ही में आए फैसले के लिए चलते यह सवाल उठा है।” गौरतलब है कि आठ जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट(आफ्स्पा) के तहत मणिपुर में लगातार सेना की नियुक्ति पर सवाल उठाया था। कोर्ट ने कहा था कि इससे भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली का मजाक उड़ रहा है और यह सरकार और सेना की नाकामी का प्रतीक है।
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पर्रिकर ने कहा, ”मुझे बहुत खुशी होगी अगर हमें देश में डिजास्टर मैनेजमेंट के अलावा कहीं पर भी सेना का उपयोग ना करना पड़े।” रक्षा मंत्री ने कहा कि सेना ने कभी भी मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं किया है। इसके बजाय वह इसकी रक्षा के लिए काम करती है। सोशल मीडिया पर भारतीय सेना के जवान की निर्दयता के वीडियो के बारे में उन्होंने कहा, ”हम लोगों को मारने के लिए मारते। कभी कभी गलती होता है। भारतीय सेना मारने में सक्षम है लेकिन वह निर्दयी सेना नहीं है।”