रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सरकारी एजेंसियों एचएएल और एयरोनाटिकल डेवलपमेंट एजेंसी को देश में विकसित हलके लडाकू विमान तेजस को भारतीय वायुसेना में शामिल करने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि इन विमानों से वायुसेना की ताकत और बढ़ेगी। पर्रिकर ने ट्वीट किया, ‘‘यह राष्ट्रीय गौरव का क्षण है। देश में विकसित तेजस लडाकू जेट को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया है। तेजस के कारण हमारी हवाई ताकत नई उंचाईयों को छुएगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विमान को सफलतापूर्वक शामिल किए जाने के लिए एचएएल और एडीए को बधाई।’’ एचएएल ने दो तेजस विमानों की पहली खेप आज सुबह बेंगलूरू में वायुसेना को सौंपी। तेजस के पहले स्क्वाड्रन को ‘फ्लाइंग डैगर्स’ नाम दिया गया है। भारत में निर्मित लड़ाकू विमानों को एलसीए के निर्माणाधीन आने के तीन दशक से भी ज्यादा समय बाद सेना में शामिल किया गया है। पहले दो साल तक तेजस का यह स्क्वाड्रन बेंगलूरू में रहेगा और उसके बाद इसे तमिलनाडु के सुलूर में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
भारतीय वायुसेना की इस वित्त वर्ष में छह विमान और अगले साल लगभग आठ विमान अपने बेड़े में शामिल करने की योजना है। वायुसेना का कहना है कि तेजस अगले साल उसके लडाकू बेड़े में नजर आएगा और उसे अग्रिम ठिकानों पर भी तैनात किया जाएगा। एलसीए वायुसेना में मिग-21 विमानों की जगह लेगा।