प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (27 जनवरी) को 2019 की पहली ‘मन की बात’ की। रेडियो कार्यक्रम में उन्होंने सिद्धगंगा मठ के महंत श्री शिवकुमार स्वामी, स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस और संत रविदास को याद किया। जातिगत राजनीति पर पीएम ने कहा कि समाज को जाति-पाति में बांटना ठीक बात नहीं है। शुरुआत में वह बोले, “21 जनवरी को शोक समाचार मिला। कर्नाटक में सिद्धगंगा मठ के डॉक्टर शिवकुमार स्वामी नहीं रहे। उन्होंने पूरा जीवन समाज-सेवा में लगाया। उनकी प्राथमिकता रहती थी कि लोगों को भोजन, आश्रय, शिक्षा और आध्यात्मिक ज्ञान मिले व किसानों का कल्याण हो।”
बकौल पीएम मोदी, “25 जनवरी को चुनाव आयोग (ईसी) का स्थापना दिवस था, जो राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनता है। ईसी बड़े स्तर पर चुनाव कराता है, जिस पर प्रत्येक देशवासी को गर्व होना स्वाभाविक है। एक ओर हिमाचल में समुद्र तल से 15,000 फीट ऊंचाई पर मतदान केंद्र होता है तो अंडमान-निकोबार के द्वीप समूह में दूर-दराज में भी वोटिंग कराई जाती है। 2019 में लोकसभा चुनाव है। यह पहला अवसर होगा, जहां 21वीं सदी में जन्मे युवा चुनावों में वोट डालेंगे। अब वे देश में निर्णय प्रक्रिया का हिस्सा बनेंगे। ”
नेताजी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “भारत ने कई महापुरुषों को जन्म दिया, जिनने मानवता के लिए अद्भुत, अविस्मरणीय कार्य किए हैं। ऐसे महापुरुषों में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस भी थे। मैं लाल किले में, क्रान्ति मंदिर में नेताजी से जुड़ी यादों के दर्शन कर रहा था, तब मुझे नेताजी के परिवार के सदस्यों ने खास टोपी भेंट की थी। कभी नेताजी उसे पहनते थे। मैंने संग्रहालय में उसे रखवाया, जिससे वहां आने वाले भी उसे देखें। नेताजी हमेशा वीर सैनिक और कुशल संगठनकर्ता के रूप में याद किए जाएंगे। ‘दिल्ली चलो’, ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा’ जैसे ओजस्वी नारों से उन्होंने हर भारतीय के दिल में जगह बनाई।”
सुनें मन की बात यहांः
लाइव : प्रधानमंत्री श्री @narendramodi की देशवासियों से 2019 की पहली ‘मन की बात’। #MannKiBaat https://t.co/LcEpvN9Wcx
— BJP (@BJP4India) January 27, 2019
रेडियो कार्यक्रम के 52वें एपिसोड में पीएम ने बताया, “आपने अभी तक गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर को एक लेखक और एक संगीतकार के रूप में जाना होगा। लेकिन मैं बताना चाहूंगा कि गुरुदेव एक चित्रकार भी थे। हमारे संतों ने अपने विचारों और कार्यों के माध्यम से सद्भाव, समानता और सामाजिक सशक्तिकरण का सन्देश दिया है। ऐसे ही एक संत थे, संत रविदास।”