Goa News: गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार गोवा चेंज ऑफ नेम एंड सरनेम एक्ट 1990 में संशोधन करने के लिए कदम उठाएगी और अगर जरूरत पड़ी तो इसे और भी ज्यादा सख्त बनाया जाएगा, ताकि किसी भी गलत इस्तेमाल को रोका जा सके। सरकार की तरफ से यह कदम विपक्ष की तरफ से उठाई जा रही शिकायतों के बाद उठाया जा रहा है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्षी विधायकों ने कहा कि लोग खासकर राज्य के बाहर के लोग, सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने के लिए धोखे से अपना सरनेम बदलकर ट्रेडिशनल गोवा सरनेम अपना रहे हैं। विपक्षी विधायकों रिवोल्यूशनरी गोअन्स पार्टी के वीरेश बोरकर, कांग्रेस के अल्टोन डी’कोस्टा और गोवा फॉरवर्ड पार्टी के प्रमुख विजय सरदेसाई ने एक प्रस्ताव पेश किया। इसमें लोगों की तरफ से अपने सरनेम को बदलकर गोवाई सरनेम अपनाने पर चिंता जाहिर की गई।

विपक्ष ने जाहिर की चिंता

विपक्षी विधायकों ने कहा कि बाहरी लोग कानूनी खामियों का फायदा उठाकर गोवाई नेम और सरनेम अपना रहे हैं। गोवा चेंज ऑफ नेम एंड सरनेम एक्ट 1990 में बदलाव करने के नियम तय करता है। 2019 में, गोवा विधानसभा ने एक संशोधन पारित किया, इसके तहत तय किए गए प्रोसेस का पालन किए बगैर धोखाधड़ी से नाम बदलने को एक अपराध बना दिया गया। इसके लिए उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।

गोवा के पर्यटन मंत्री ने कही बड़ी बात

यह संशोधन उस वक्त लाया गया जब अलग-अलग पार्टियों और समुदायों के विधायकों ने अखबारों में आउटसाइडर्स द्वारा नेम और सरनेम में किए गए बदलावों पर चिंता जाहिर की। उनका आरोप था कि उन्होंने सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने, पुर्तगाली पासपोर्ट के लिए आवेदन करने या जमीन विरासत में पाने के लिए गोवा के नेम और सरनेम अपनाए हैं।

विधानसभा में और भी सख्त प्रावधान लाए गए। फिर साल 2022 में विधानसभा में एक संसोधन विधेयक पारित किया गया। इसके मुताबिक, अपना नाम बदलने वाले व्यक्ति का जन्म गोवा में होना चाहिए और उनका बर्थ भी गोवा राज्य में रजिस्टर्ड होना चाहिए। इतना ही नहीं उसके माता-पिता या दादा-दादी में से किसी एक का जन्म गोवा में हुआ होना चाहिए। संशोधन में नाम बदलने के आवेदनों को मंजूर करने का अधिकार सिविल जज जूनियर डिवीजन या जिला जज को भी दिया गया। पहले यह अधिकारी रजिस्ट्रार के पास होता था।

विपक्ष के नेता ने सीएम से किया सवाल

विधानसभा में विपक्ष के नेता, कांग्रेस के यूरी अलेमाओ ने कहा, ‘मंजूनाथ अपना नाम बदलकर फ्रांसिस्को फर्नांडीस करने के लिए आवेदन कर रहे हैं। इसे एक राज्य से दूसरे राज्य और एक समुदाय से दूसरे समुदाय पर आक्रमण माना जा रहा है।’ अलेमाओ ने सवाल करते हुए कहा कि सरकार इस मुद्दे को हल करने के लिए किन कदमों पर विचार कर रही है।

मुख्यमंत्री ने दिया जवाब

इस सवाल का जवाब देते हुए राज्य के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने सदन को बताया कि सरकार ने गोवा राज्य में जन्मे किसी भी व्यक्ति के नाम में बदलाव के प्रोसेस को लेकर गोवा चेंज ऑफ नेम और सरनेम एक्ट, 1990 लागू किया था और बाद में खामियों से संबंधित शिकायतों को दूर करने के लिए इसमें संशोधन किया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इसके लिए जरूरी कदम उठा रही है और प्रावधानों को सख्त बना रही है। कौन हैं पी अशोक गजपति राजू?