मणिपुर के क्वाक्टा शहर में 5 जुलाई को मैतेई समुदाय के तीन लोगों के मारे जाने के बाद हिंसा की आग एक बार फिर तेज़ हो गई है। पुलिस ने संदेह जताया था कि इन मौतों के पीछे कुकी समुदाय का हाथ है। क्वाक्टा शहर में रविवार, 6 जुलाई का दिन काफी तनावपूर्ण रहा है। शाम को लगभग 4.25 बजे मुख्य बाजार में काफी गोलीबारी देखी गई है, हाथों में हथियार लिए मैतेई लोग इन हत्याओं को लेकर काफी गुस्से में नज़र आ रहे हैं। 

इस एक मामले ने पूरे शहर को खतरे में डाल दिया है और अब तक शांत दिखाई दिया शहर का सबसे बड़ा  मुस्लिम मैतेई पंगल समुदाय  पहले से कहीं ज़्यादा गुस्से में है।  मैतेई बहुल बिष्णुपुर जिले में स्थित क्वाक्टा शहर के अनुमानित 13,500 मतदाताओं में से लगभग 85 प्रतिशत मुस्लिम मैतेई पंगल हैं। यहां  लगभग 1,500 मैतेई हैं। 

अब तक के संघर्ष में शांत था क्वाक्टा शहर 

अब तक मुस्लिम मैतेई पंगल्स मैतेई और कुकी-ज़ोमी समुदायों के बीच संघर्ष में शामिल नहीं थे। लेकिन शनिवार के दिन हिंसा की आग यहां भी पहुंच गई। मैतेई पांगल-प्रभुत्व वाले क्वाक्टा वार्ड 8 में एक पिता और पुत्र अपने घरों में मृत पाए गए। उस घर से कुछ ही कदम की दूरी पर जिसमें एक और हत्या कर दी गई।

शहर के निवासी 30 वर्षीय ज़ालम खान ने कहा कि उन्हें एहसास नहीं हुआ कि क्या हो रहा है। खान ने कहा, “हम पिछले तीन महीनों से गोलीबारी की आवाज़ सुन रहे हैं। हम घर पर सो रहे थे और हमें नहीं लगा कि कुछ अलग हो रहा है। हमें हत्याओं के बारे में सुबह करीब चार बजे पता चला जब पुलिस कमांडो आये.”

अब पूरे शहर में भड़क रही है हिंसा, रविवार को क्या हुआ?

शनिवार को हुई मौतों इलाके में काफी तनाव दिखाई दिया। बड़ी संख्या में मैतेई लोग सड़कों पर जुट गए। कुछ कुकी घरों पर हमला किया गया। एक चर्च को भी आग के हवाले कर दिया गया। हिंसा के डर से कुकी समुदाय के लोग पहले ही यहां से अपने घर छोड़ कर जा चुके हैं। मैतेई परिवारों के लिए दो राहत केंद्र क्वाक्टा में स्थापित किए गए थे जिनमें से एक यांगखुबम शब्बीर अहमद ने अपने परिवार के घर में बनाया था जहां फिलहाल लगभग 70 लोग रह रहे हैं।