मणिपुर में गुरुवार को मचे बवाल के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी एयरपोर्ट वापस लौट रहे हैं। वह आज दो दिन के दौरे के लिए मणिपुर आए थे, लेकिन उन्हें इंफाल से 20 किमी की दूरी पर बिष्णुपुर जिले में रोक दिया गया। इसे लेकर उनके समर्थकों ने हंगामा शुरू कर दिया और बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश की।
राहुल गांधी इंफाल से हिंसा प्रभावित चुराचंदपुर जिले जा रहे थे, लेकिन अशांति का हवाला देकर उन्हें जाने से रोक दिया गया। इसके बाद वह एयरपोर्ट के लिए वापस लौट गए।
चुराचंदपुर में राहत शिविरों का दौरा करेंगे राहुल गांधी
चुराचंदपुर में जातीय हिंसा के कारण विस्थापित लोगों से मिलने के लिए राहुल गांधी राहत शिविरों का दौरा करेंगे। यहां 300 से ज्यादा राहत शिविरों में करीब 50 हजार लोग रह रहे हैं। 3 मई से राज्य में जातीय हिंसा भड़क गई थी, जिसकी वजह से अब तक 120 लोगों की मौत हो चुकी है। इस दौरान, अब तक करीब 50 हजार लोगों को राहत शिविरों में रखा गया है।
कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी की शुक्रवार को इंफाल में राहत शिविरों का दौरा करने और बाद कुछ नागरिक संगठनों के सदस्यों से बातचीत करने की भी योजना है। मणिपुर में 3 मई को शुरू हुई हिंसा के बाद राहुल गांधी का यह पहला मणिपुर दौरा है।
केसी वेणुगोपाल ने भी दी प्रतिक्रिया
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि समझ नहीं आ रहा कि राहुल गांधी को क्यों रोका गया है। न्यूज एजेंसी के अनुसार, उन्होंने कहा, “राहुल गांधी के काफिले को पुलिस ने बिष्णुपुर जिले में रोक दिया है। सड़क के दोनों तरफ लोगों का जमावड़ा लगा है, जो राहुल गांधी को देखकर हाथ हिला रहे हैं। हमें समझ नहीं आ रहा है कि हमें क्यों रोका गया है?”
मणिपुर में मैतई और कूकी समुदाय के बीच भड़की जातीय हिंसा के कारण राज्य में काफी तनाव की स्थिति है। ऐसे में यहां पैरामिलिट्री फोर्स भी तैनात की गई हैं। राज्य में अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने के मैतई समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को पर्वतीय जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हो गई थीं।
मणिपुर की 53 फीसदी आबादी मैतई समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। वहीं, नागा और कूकी जैसे आदिवासी समुदायों की 40 फीसदी आबादी पर्वतीय जिलों में रहती है।