हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर पर राजनीतिक बयानबाजी भी जारी है। इस बीच विपक्षी गठबंधन INDIA के 21 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल भी वहां पहुंचा है। वहीं, मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद सुर्खियों में आए कुकी नेता और भाजपा विधायक पाओलीनलाल हाओकिप (Paolienlal Haokip) ने कहा कि राज्य के जातीय संघर्ष का समाधान तीन अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाना है।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में हाओकिप ने राज्य में जातीय अलगाव को राजनीतिक और प्रशासनिक मान्यता देने की वकालत की, साथ ही कुकी समुदाय के नेताओं द्वारा कुकी क्षेत्रों के लिए अलग प्रशासन की मांगों को और बढ़ा दिया। हालांकि, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेंद्र की सरकार जो कुकी समूहों, कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (COCOMI ) के साथ बातचीत कर रही है, भी इस तरह के फॉर्मूले के खिलाफ है। COCOMI ने राज्य को तोड़ने के किसी भी कदम के खिलाफ अपना विरोध जताया है। केंद्र सरकार भी इस तरह के फॉर्मूलेशन के खिलाफ हैं।
जातीय अलगाव को दी जाए राजनीतिक और प्रशासनिक मान्यता
हाओकिप ने कहा, ”जैसा कि मैं देखता हूं, इस समस्या का समाधान केंद्र सरकार के लिए जातीय अलगाव को राजनीतिक और प्रशासनिक मान्यता देना है, जहां मणिपुर राज्य को तीन केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में पुनर्गठित किया जा सकता है।” बीजेपी विधायक ने तर्क दिया कि इस तरह का कदम स्थायी शांति लाएगा।
आलोचकों का कहना है कि इस फॉर्मूलेशन से अलग-अलग नागा, कुकी और मैतेई क्षेत्र बन जाएंगे, जो इस तथ्य को देखते हुए मुश्किल होगा कि कई गांवों और जिलों में मिश्रित आबादी है। मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
चुराचांदपुर जिले के सैकोट निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीते थे हाओकिप
इस साल की शुरुआत में भाजपा के टिकट पर मणिपुर के चुराचांदपुर जिले के सैकोट निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीतने वाले हाओकिप ने कहा, “केंद्र सरकार द्वारा कुकी ज़ो विद्रोही समूहों के साथ द्विपक्षीय मंच पर बातचीत फिर से शुरू करना एक सकारात्मक विकास है, जिसे राज्य सरकार अपने बहुसंख्यकवादी और अहंकारी रवैये से बिगाड़ने का काम कर रही है।” हाओकिप और अन्य कुकी नेताओं का मानना है कि बहुमत राज्य के संसाधनों के आवंटन को नियंत्रित कर रहा है और साथ ही मणिपुर विधानसभा की पहाड़ी क्षेत्र समिति जैसे चेक तंत्र को दबा रहा है।
कुकी समुदाय की नाराजगी
वे इस तथ्य से भी नाखुश हैं कि आदिवासी लोगों को इन क्षेत्रों में उनके पहले से मौजूद अधिकारों का दावा किए बिना आदिवासी भूमि को आरक्षित वन और संरक्षित वन घोषित कर दिया गया। समुदाय परिसीमन आयोग की रिपोर्ट को रोकने से भी नाराज है, जिसमें दावा किया गया है कि राज्य में उनकी आबादी के बढ़े हुए प्रतिशत के अनुपात में आदिवासियों को अधिक सीटें देने की सिफारिश की गई है।
दूसरी ओर, COCOMI जैसे संगठनों ने शनिवार को इंफाल में विरोध प्रदर्शन किया, जहां हजारों लोग कुकी समूहों के साथ बातचीत का विरोध करने के लिए एकत्र हुए थे। उन्होंने कुकी-ज़ोमी समुदाय पर आरोप लगाते हुए इन समूहों को नार्को-आतंकवादी करार दिया।