मणिपुर में हिंसा की आग थमने का नाम ही नहीं ले रही है। राज्य के कांगपोकपी जिले में शुक्रवार सुबह एक बुजुर्ग महिला सहित तीन लोगों की हत्या कर दी गई। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि हमलावरों ने पुलिस और इंडिया रिजर्व बटालियन (IRB) की वर्दी पहन रखी थी। यह हमला मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह के यह कहने के कुछ देर बाद हुआ कि राज्य ने 48 घंटे से हिंसा नहीं देखी है। पिछले एक महीने से ज्यादा समय से जातीय संघर्षों ने राज्य को हिला कर रख दिया है।

खोकेन गांव में गोलीबारी

कुकी लोगों की बस्ती खोकेन गांव के निवासियों ने आरोप लगाया कि हथियारबंद लोग सुबह करीब 4 बजे आए और गांव में करीब दो घंटे तक रुके रहे और गोलियां चलाईं। हालांकि, पुलिस ने तीन लोगों के मारे जाने और दो के घायल होने की पुष्टि की लेकिन उन्होंने घटना के बारे में ज्यादा जानकारी साझा नहीं की।

खोकेन इंफाल पश्चिम के साथ कांगपोकपी जिले की सीमा पर स्थित है। खोकेन के निवासियों ने मारे गए तीनों लोगों की पहचान 65 वर्षीय डोमखोहोई, 52 वर्षीय खाइजामंग गुइते और 40 वर्षीय जंगपाओ तौथांग के रूप में की है। गांव के निवासी और डोमखोई के छोटे भाई थोंगखुप डोंगल ने कहा कि तड़के करीब 40 लोग गांव में दाखिल हुए थे। उन्होंने कहा कि डोमखोई को गांव के उस चर्च में मार दिया गया जहां वह प्रार्थना करने गई थी। दोनों आदमी साधारण किसान थे जबकि मेरी बहन विधवा थी।

सुरक्षाबलों से मिलती हुई वर्दी में आए थे उग्रवादी

खोकेन गांव के निवासी ने कहा, “वे अरंबई तेंगोल के सदस्यों, पुलिस और आईआरबी की वर्दी जैसी काली टी-शर्ट पहने हुए थे और उन्होंने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। करीब दो घंटे तक फायरिंग चलती रही। हमने गांव खाली किया और नजदीकी सीआरपीएफ कैंप गए और उन्हें जानकारी दी. सीआरपीएफ और गोरखा रेजीमेंट के गांव में आने के बाद ही हमलावर निकले। वे पांच जिप्सी में निकले जिन्हें हमने देखा कि वे पुलिस वाहन थे।” ITLF ने आरोप लगाया कि हमले को सेना की वर्दी में घाटी में छिपे विद्रोहियों द्वारा अंजाम दिया गया था।

वहीं, दूसरी ओर CBI ने 6 FIR फिर से दर्ज की हैं और डीआईजी-रैंक के अधिकारी के तहत एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है, जो मणिपुर में मैतेई और कुकियों के बीच जातीय हिंसा से संबंधित मामलों की जांच करेगा। एसआईटी में 10 अधिकारी शामिल हैं।