मणिपुर में सबसे बड़ा शांति समझौता संपन्न हो गया है, UNLF ने अपने हथियार डाल मुख्यधारा में आने का फैसला कर लिया है। दिल्ली में इस समझौते को सहमति दे दी गई है और गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर इसे लेकर जानकारी भी दी है। उन्होंने इस पूरे समझौते को एक नया अध्याय बताया है, राज्य की स्थिति को देखते हुए ऐतिहासिक बता दिया है।
ऐतिहासिक करार, क्या मायने?
गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि आज जो शांति समझौता हुआ है, उससे 6 दशकों से चले आ रहे सशस्त्र आंदोलन समाप्त हो गया। पीएम मोदी का जो विजन है, पूर्वोत्तर के युवाओं को अच्छा और सुरक्षित भविष्य दिया जाए, ये उस दिशा में एक बड़ा कदम है। गृह मंत्री ने अपने ट्वीट में ये भी लिखा कि UNLF को मेनस्ट्रीम के साथ जुड़ने पर बधाई। उन्हें शांति के रास्ते पर चलने के लिए शुभकामनाएं।
अब यहां ये समझना जरूरी है कि यूएनलफ सबसे पुराना विद्रोही संगठन है जिसने 1964 में स्वतंत्र मणिपुर के लिए अपने आंदोलन की शुरुआत की थी। उस संगठन के सक्रिय होने के बाद ही कई दूसरे संगठन भी समय के साथ सिर उठाते चले गए। कई जगहों पर दंगे होने लगे, स्थिति बेकाबू सी हो गई। इसी वजह से केंद्र ने 1980 में मणिपुर में AFSPA लागू कर दिया था और पूरा राज्य को अशांत करार दिया गया। अब उसी सबसे पुराने संगठन ने अपने हथियार डालने का फैसला किया है जिसे केंद्र एक ऐतिहासिक क्षण माना है।
वैसे कुछ समय पहले ही केंद्र सरकार ने मैतेई समुदाय से जुड़े कुछ कट्टरपंथी संगठनों पर बैन लगा दिया था। सरकार ने ट्रैक रिकॉर्ड देखते हुए पीपल लिबरेशन आर्मी, यूनाइटेड नेशनल फ्रंट, मणिपुर पीपल आर्मी पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। उन्हें ऐसी गतिविधियों में सम्मिलित पाया गया है जो गैर कानूनी है, शांति के खिलाफ हैं और नुकसान पहुंचाने वाली हैं।