25 दिसंबर को संसद के पास खुद को आग लगाने वाले शख्स की शुक्रवार को आरएमएल अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। अधिकारियों ने आज इस बारे में जानकारी दी। बुधवार को उत्तर प्रदेश के बागपत के रहने वाले जितेंद्र ने अपने शरीर पर पेट्रोल डालकर नए संसद भवन के पास आत्मदाह करने की कोशिश की थी। संसद के पास तैनात सुरक्षाकर्मियों की मदद से आग बुझाई गई थी। जिसके बाद उसे आरएमएल अस्पताल ले जाया गया और बर्न वार्ड में भर्ती कराया गया था।

प्रारंभिक जांच के अनुसार, शख्स ने यह कदम बागपत में अपने घर पर कुछ लोगों से विवाद के कारण उठाया था। पुलिस ने कहा कि शख्स के परिवार पर उनके गांव में एक अन्य परिवार के साथ मारपीट के दो मामले चल रहे थे, जिसके कारण वह परेशान था। अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार, वह 95 प्रतिशत तक जल गया था और शुक्रवार सुबह 2.23 बजे उनका निधन हो गया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद जितेंद्र का शव उसके परिवार को सौंप दिया गया है।

गौरतलब है कि बुधवार को संसद भवन के पास रेल भवन के नजदीक 26 वर्षीय जितेंद्र ने खुद को आग लगा ली थी। जिसके चलते वह 90% तक जल गया था और उसका इलाज राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में चल रहा था।

इस वजह से परेशान था जितेंद्र

पुलिस ने बताया कि जितेंद्र कुमार पट्टी ढांढन, छपरौली का रहने वाला है। डीसीपी (नई दिल्ली) देवेश महला ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि उन्हें संदेह है कि वह व्यक्ति अपने होम टाउन में किसी पर्सनल दुश्मनी के कारण परेशान था। पुलिस ने बताया कि वह व्यक्ति दोपहर करीब 1 बजे शाहदरा रेलवे स्टेशन पहुंचा। उसकी जेब से बड़ौत से शाहदरा तक का 15 रुपये का जनरल टिकट मिला था।

देवेश महला के मुताबिक, “उसके पास से कुछ कागजात मिले हैं। पता चला है कि बागपत में उसके खिलाफ तीन मामले चल रहे हैं और उसने आरोप लगाया है कि स्थानीय पुलिस मामले की ठीक से जांच नहीं कर रही है, जिसके कारण वह परेशान था।” कागजात के अनुसार, जितेंद्र के खिलाफ तीन मामले मई 2021, अप्रैल 2022 और मई 2024 में दर्ज किए गए थे।

‘किसी का जीवन दांव पर है’, किसान नेता डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता पर SC का पंजाब सरकार को नोटिस

भट्टा मजदूर के तौर पर काम करता था जितेंद्र

सूत्रों के अनुसार, जितेंद्र ने एक व्यक्ति का नाम लिया है, जिस पर उसने कुछ सालों से उसे और उसके परिवार को परेशान करने का आरोप लगाया है। परिवार ने बताया कि जितेंद्र एलएलबी की पढ़ाई छोड़ चुका है और भट्टा मजदूर के तौर पर काम करता था।

परिवार ने जितेंद्र के सुसाइड के पीछे बताई यह वजह

उसके चचेरे भाई गौरव ने आरोप लगाया, “हम निचली जाति से हैं। गरीबों और छोटे लोगों की कोई सुनने वाला नहीं है यहाँ । 2021 में, कुछ लोगों ने जितेंद्र के पिता के साथ मारपीट की। उनके परिवार ने मामला दर्ज कराने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने नहीं किया, इसके बजाय जितेंद्र के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। 2022 में, उन्हीं लोगों ने धारा 308 के तहत जितेंद्र के खिलाफ एक और मामला दर्ज कराया। 2024 में, उन्होंने जितेंद्र और उनके पिता को कुचलने की कोशिश की। इतने सालों से वो उसे और उसके परिवार को चुप रहने की धमकी देते रहे। इन फर्जी मामलों में से एक में उसे 1.5 महीने की जेल भी हुई थी। जितेंद्र ने प्रशासन से लेकर राजनेताओं तक हर किसी से मदद लेने की कोशिश की।”

जितेंद्र के दोस्त नितिन ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “उसने आज सुबह मुझे बताया कि वह दिल्ली जा रहा है। वह मदद की उम्मीद में हर दूसरे-तीसरे महीने अपने सारे कागजात लेकर यहां आता था। उसने सिस्टम से हारने के बाद उसने ऐसा कदम उठाया।” देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ें jansatta.com का LIVE ब्लॉग