Waqf Act News: वक्फ संशोधन विधेयक को पिछले हफ्ते लोकसभा और राज्यसभा से पारित हुआ और फिर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उसे स्वीकृत करने के साथ ही इसे कानून घोषित कर दिया। केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के लागू होने का नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया लेकिन पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार ने इस कानून के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सीएम ममता बनर्जी ने कहा है कि नए वक्फ कानून को उनकी सरकार राज्य में लागू ही नहीं होने देगी।

वक्फ बिल पर ममता बनर्जी ने कहा है कि केंद्र वक्फ संशोधन कानून को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं किया जाएगा। ममता बनर्जी ने बुधवार को कोलकाता में जैन समुदाय के एक कार्यक्रम में कहा था कि मैं अल्पसंख्यक लोगों और उनकी संपत्ति की रक्षा करूंगी। उन्होंने कहा कि मैं जानती हूं कि वक्फ कानून बनने से आप निराश हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या वक्फ कानून को ममता पश्चिम बंगाल में लागू नहीं करेंगी।

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संसद के कानून को लेकर क्या कहता संविधान?

ममता बनर्जी ने नए वक्फ कानून को लेकर केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा तो खोल दिया है, लेकिन यह समझना भी अहम है कि इस बारे में संविधान क्या कहता है। संविधान के अनुच्छेद 245 और 246 के तहत संसद को कानून बनाने का अधिकार है। ऐसे में अगर संसद द्वारा बनाया गया कानून संघ सूची या समवर्ती सूची के विषयों से संबंधित है, तो राज्यों का इसे लागू न करने का अधिकार काफी सीमित ही होता है।

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क्या कानून लागू करने के लिए बाध्य हैं राज्य सरकारें

ऐसे में वक्फ की बात करें तो यह केंद्र सरकार विषय है। वक्फ को भारतीय संविधान की समवर्ती सूची में शामिल किया गया है। बता दें कि केंद्र और राज्य दोनों इस पर कानून बना सकते हैं, यदि केंद्र सरकार कोई कानून बनाती है, तो राज्यों के पास उसे चुनौती देने या उसका पालन न करने का अधिकार नहीं होता, जब तक कि संविधान में कोई विशेष प्रावधान न हो।

संवैधानिक नियमों के तहत अगर संसद ने वक्फ प्रबंधन या वक्फ संपत्तियों से संबंधित कोई नया कानून पारित किया है, तो राज्य सरकारें उसे लागू करने के लिए बाध्य हैं, मतलब ये कि मोदी सरकार द्वारा संसद से पारित कराया गया नया वक्फ कानून पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार को राज्य में लागू करना ही होगा।

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संविधान के अनुच्छेद 254 के अनुसार केंद्रीय कानून राज्य कानूनों पर प्राथमिकता रखते हैं। अनुच्छेद 256 के मुताबिक राज्य सरकारें केंद्र के बनाए कानून और उनके निर्देशों का पालन करने से मना नहीं सकती हैं। जानकारों का कहना है कि केंद्र के निर्देशों को पालन करना राज्यों का दायित्व है।

राज्य सरकारें कब जा सकती हैं कोर्ट?

संविधान के नियमों के तहत राज्य सरकारें वक्फ बोर्डों के प्रशासनिक कार्यों में भूमिका निभा सकती हैं, लेकिन केंद्र के बनाए कानून को रद्द या अमान्य नहीं कर सकतीं। यदि राज्य का अपना कोई वक्फ कानून है, जो केंद्रीय कानून से टकराता है, तो केंद्रीय कानून प्रभावी होगा। जब तक कि राष्ट्रपति की अनुमति से राज्य कानून को प्राथमिकता न दी जाए। अगर कोई राज्य यह साबित कर सके कि केंद्रीय कानून संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता है, तो वो अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

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वक्फ कानून में क्या है केंद्र और राज्यों की भूमिका?

वक्फ एक केंद्रीय विषय है. वक्फ को भारतीय संविधान की समवर्ती सूची (Entry 28, List III) में शामिल किया गया है। इसका मतलब यह है कि केंद्र और राज्य दोनों इस पर कानून बना सकते हैं। अगर केंद्र सरकार कोई कानून बनाती है, तो राज्यों के पास उसे चुनौती देने या उसका पालन न करने का अधिकार नहीं होता है। यदि संसद ने वक्फ प्रबंधन या वक्फ संपत्तियों से संबंधित कोई नया कानून पारित किया है, तो राज्य सरकारें उसे लागू करना ही होगा।

ममता सरकार ने CAA का भी किया था विरोध

ध्यान देने वाली बात यह भी है कि यह पहली बार नहीं है कि कोई राज्य सरकार संसद द्वारा पारित कानून को अपने यहां लागू करने से रोक रही हो। इसके पहले जब सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA) लाया गया था उस समय भी पश्चिम बंगाल और केरल ने इसे अपने राज्य में इसे लागू करने पर विरोध जताया था।