राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एएनआई) मालेगांव ब्लास्ट केस की सुनवाई कैमरे के सामने चाहता है। एनआईए ने इसके लिए स्पेशल कोर्ट में आवेदन किया है। बंद कमरे में सुनवाई की मांग करते हुए एजेंसी ने दावा किया कि कार्यवाही के ‘‘अनावश्यक प्रचार’’ से ‘‘सांप्रदायिक सौहार्द’’ को नुकसान हो सकता है। एनआईए ने यह आवेदन स्पेशल जज वी.एस पडालकर के समक्ष पेश किया है। 2008 के इस केस में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर भी आरोपी हैं।
मालूम हो कि मालेगांव ब्लास्ट केस में 6 लोगों की मौत हुई थी जबकि 100 लोग घायल हुए थे। कथित तौर पर विस्फोटक लगाने के लिए इस्तेमाल मोटरसाइकिल प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम पर रजिस्टर्ड थी। मोटरसाइकिल धमाके वाली जगह पर क्षतिग्रस्त अवस्था में मिली थी। पुलिस ने यह दावा किया जिसके बाद उन्हें 2008 में गिरफ्तार किया गया था।
अगर कोर्ट अर्जी में शामिल मांग को स्वीकार करती है तो आरोपियों और उनके वकील, अभियोजन टीम और कोर्ट स्टॉफ ही सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में मौजूद रहेंगे। इसके अलावा ट्रायल से संबंधित किसी भी जानकारी के पब्लिकेशन के लिए कोर्ट से स्पष्ट अनुमति लेनी होगी। जब कैमरा के सामने सुनवाई होती है तो आम जनता और प्रेस के लोगों को कोर्ट रूम में दाखिल होने की इजातत नहीं होती।
बता दें कि इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट 2017 में साध्वी प्रज्ञा को जमानत दे चुकी है। एनआईए उन्हें क्लीन चिट दे चुकी है लेकिन ट्रायल कोर्ट ने उन्हें इस मामले से अलग करने से मना कर चुकी है। 22 जुलाई को बॉम्बे हाई कोर्ट ने एनआईए से पूछा था कि इस केस में ट्रायल कितने दिन तक खत्म हो जाएगा। एनआईए वकील संदेश पाटिल ने कोर्ट को सूचित किया कि मामले में अबतक 475 गवाहों में से 124 से पूछताछ की जा चुकी है।
इससे पहले बम धमाके में इस्तेमाल मोटरसाइकिल को ट्रायल कोर्ट में बार लाया गया था। मौके पर पंचनामा करने वाले गवाह ने दो मोटरसाइकिलों की पहचान की। इनमें एक एक एलएमएल है जबकि दूसरी होंडा यूनिकॉर्न मोटरसाइकिल। गवाह को इन मोटरसाइकिलों के अलावा पांच साइकिलें भी दिखाई गईं। गवाह के मुताबिक, ये वही बाइक और साइकिलें हैं जो उसने 2008 में घटनास्थल पर देखी थी।