नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) ने मालेगांव ब्लास्ट की प्रमुख आरोपी साध्वी प्रज्ञा समेत 6 लोगों को शुक्रवार के दिन दायर की गई अपनी चार्जशीट में क्लीन चिट दे दी। एनआईए के इस फैसले से कई लोग गुस्सा जरूर हैं पर उन्हें हैरानी बिल्कुल नहीं है।
29 सितंबर 2008 को मालेगांव के भीखू चौक पर हुए दो बम धमाकों में मारे गए लोगों के परिवारवालों के साथ-साथ केंद्र सरकार से इत्तेफाक ना रखने वाला ‘विपक्ष’ भी नाराज है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत सभी का कहना है कि उन्हें ऐसे ही फैसले की उम्मीद थी।
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धमाकों में अपने पिता, हारुन (65 साल) को गंवा चुके 35 साल के निसार शाह का कहना है कि दोषियों को सजा होनी चाहिए। निसार ने कहा, ‘मेरे अब्बा नमाज के बाद चाय पीने के लिए गए थे। वहीं पर बम फट गया। वह बुरी तरह जख्मी हो गए थे। इसके बाद उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया जहां उन्होंने अगले दिन दम तोड़ दिया। मैं केस के बारे में ज्यादा नहीं जानता, बस इतना पता है कि भगवा रंग के कपड़े पहने हुए एक महिला को गिरफ्तार किया गया था। अगर उसने यह किया है तो उसे सजा मिलनी चाहिए।’
वहीं, महाराष्ट्र से कांग्रेस के विधायक आसिफ शेख ने कहा, ‘यह बीजेपी की तरफ से बड़ी सोच समझ के उठाया गया कदम है। हम जानते थे कि ऐसा ही होगा।’
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वहीं, ब्लास्ट वाली जगह से 100 मीटर दूर रहने वाले हमदानी ने कहा, ‘साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ दर्जनभर आडियो और वीडियो सीडी हैं। साथ ही ऐसे भी कई कागजात हैं जिनसे पता लगता है कि बम धमाके के लिए इस्तेमाल हुई बाइक साध्वी की ही थी। वहीं, कानून के मुताबिक भी सबूतों और कागजातों को किसी की गवाही से ज्यादा बड़ा सबूत माना जाता है। ऐसे में एनआईए साध्वी प्रज्ञा को यह कहकर छुड़ा नहीं सकता कि उसे प्रज्ञा के पक्ष में गवाही देने वाले मिल गए हैं। यह कानूनी तौर पर गलत है।’