मालेगांव बम धमाके में कथित तौर पर विस्फोटक लगाने के लिए इस्तेमाल एलएमएल फ्रीडम मोटरसाइकिल को सोमवार को ट्रायल कोर्ट में पहली बार लाया गया। यह मोटरसाइकिल प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम पर रजिस्टर्ड है। आम चुनाव 2019 में भोपाल से निर्वाचित सांसद प्रज्ञा अभी बेल पर हैं। मोटरसाइकिल धमाके वाली जगह पर क्षतिग्रस्त अवस्था में मिली थी। बता दें कि 29 सितंबर 2008 को हुए इस धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

मौके पर पंचनामा करने वाले गवाह ने दो मोटरसाइकिलों की पहचान की। इनमें एक एक एलएमएल है जबकि दूसरी होंडा यूनिकॉर्न मोटरसाइकिल। गवाह को सोमवार को इन मोटरसाइकिलों के अलावा पांच साइकिलें भी दिखाई गईं। गवाह के मुताबिक, ये वही बाइक और साइकिलें हैं जो उसने 2008 में घटनास्थल पर देखी थी।

बता दें कि ट्रायल में सबूत के तौर पर इस्तेमाल हो रहे दो बाइक और पांच साइकिलों को मालेगांव के भीखू चौक से बरामद किया गया था। इनकी जांच फोरेंसिंक साइंस लैबोरेट्री ने की और बाद में इन्हें महाराष्ट्र एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) के पास भेज दिया गया। पहले इस मामले की जांच एटीएस ने ही की थी। मुंबई की अदालत में जगह की कमी की वजह से मोटरसाइकिलों को एटीएस के कलाचौकी यूनिट भेजा गया था।

सोमवार को इन सबूतों को एक टेंपो में लादकर कोर्ट लाया गया। साइकिल और मोटरसाइकिलों को पांचवें तल पर स्थित कोर्ट रूम तक नहीं लाया जा सका। कोर्ट ने अभियोजन और बचाव पक्ष के वकीलों को निर्देश दिया कि वह ग्राउंड फ्लोर पर जाकर इन सबूतों को देखें। स्पेशल जज वीएस पदलकर ने भी इन सबूतों का मुआयना किया।

गवाह को पहले जूट के बैग में बंधी जंग खा चुकी साइकिलों को दिखाया गया। इसके बाद गवाह को एलएमएल फ्रीडम की पहचान करने के लिए कहा गया। गवाह टेंपो पर चढ़ा और मोटरसाइकिल की पहचान की। जज भी मोटरसाइकिल का मुआयना करने के लिए टेंपो पर चढ़े। मुआयने के बाद सभी कोर्ट रूम में वापस आ गए।

पिछले महीने गवाह ने बताया था कि पुलिस ने उसे जो एलएमएल मोटरसाइकिल दिखाई थी, उसका रजिस्ट्रेशन नंबर MH 15 P 4572 था। अक्टूबर 2008 में हुए इस धमाके के मामले में पहली गिरफ्तारी प्रज्ञा की हुई थी। यह गिरफ्तारी बाइक के रजिस्ट्रेशन के आधार पर हुई थी। एटीएस के बाद इस मामले की जांच कर रही एनआईए ने 2016 में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल कर कहा था कि प्रज्ञा उस बाइक को दो साल से ज्यादा वक्त से इस्तेमाल नहीं कर रही थीं। एनआईए ने प्रज्ञा को क्लीनचिट दी थी। हालांकि, कोर्ट ने एनआईए के दावे को खारिज करते हुए कहा था कि आरटीओ के रिकॉर्ड में बाइक प्रज्ञा के नाम पर रजिस्टर्ड है और यह ट्रायल का मामला है कि धमाके में इसके इस्तेमाल से प्रज्ञा का कनेक्शन है या नहीं?