Malegaon Blast Case: मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने भाजपा की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले नया जमानती वारंट जारी किया है। स्पेशल कोर्ट ने यह वारंट इसलिए जारी किया है कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं हुई थीं। मालेगांव विस्फोट मामले में प्रज्ञा सिंह ठाकुर आरोपी हैं।

स्पेशल कोर्ट ने यह कार्रवाई पूर्व में दिए गए आदेशों के बावजूद कोर्ट में बार-बार अनुस्थित रहने पर की है। ठाकुर कोर्ट के आदेश के बाद भी सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं हो रही थीं।

स्पेशल जज ए.के. लाहोटी ने पाया कि ठाकुर निर्देशानुसार कोर्ट में पेश नहीं हुए। कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में जमानती वारंट जारी किया था, लेकिन रिकॉर्ड में दर्ज पता पुराना हो जाने के कारण वारंट तामील नहीं हो सका।

जवाब में जज ने निर्देश दिया कि ठाकुर की कानूनी टीम द्वारा उपलब्ध कराए गए नए पते के आधार पर एक नया वारंट जारी किया जाए।

जज लाहोटी ने कहा कि आरोपी नंबर एक (प्रज्ञा ठाकुर) के खिलाफ उनके वकील द्वारा दिए गए नए पते के आधार पर 10,000 रुपये का नया जमानती वारंट जारी करें। वारंट 2 दिसंबर, 2024 को वापस किया जाएगा।

बता दें, इस साल यह दूसरी बार है जब ठाकुर के खिलाफ गैरहाजिर रहने पर जमानती वारंट जारी किया गया है। मार्च 2024 में भी इसी तरह का वारंट जारी किया गया था, लेकिन बाद में ठाकुर के कोर्ट में पेश होने के बाद उस पर रोक लगा दी गई थी।

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मुंबई से करीब 200 किमी दूर मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास 29 सितंबर 2008 को हुए विस्फोट में छह लोग मारे गए और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे। विस्फोट की साजिश में संलिप्तता के लिए भाजपा नेता प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और पांच अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है। घटना के बाद महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते ने इस मामले की जांच की, लेकिन बाद में 2011 में इस मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया गया।

भोपाल से सांसद ठाकुर पर इस विस्फोट के सिलसिले में गंभीर आरोप लगे हैं। अक्टूबर 2023 में एनआईए कोर्ट ने औपचारिक रूप से उनके और छह अन्य के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत आतंकवाद, साजिश और सांप्रदायिक दुश्मनी को बढ़ावा देने सहित अपराधों के लिए आरोप तय किए। कोर्ट इस मामले में प्रतिदिन सुनवाई कर रही है और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 313 के तहत आरोपियों के बयान दर्ज करने के साथ मुकदमा आगे बढ़ रहा है।