2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में बरी होने के बाद अब लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित को कर्नल के पद पर पदोन्नत कर दिया गया है। रक्षा सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है। पुरोहित ने 2008 से 2017 तक जेल में विचाराधीन कैदी के रूप में समय बिताया। हाल ही में 31 जुलाई को विशेष एनआईए अदालत ने उन्हें, पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर और पांच अन्य लोगों के साथ, सभी आरोपों से बरी कर दिया। अदालत ने फैसले में कहा कि आरोपियों की भूमिका पर संदेह तो है, लेकिन यह कानूनी सबूत के रूप में मान्य नहीं हो सकता।
पुरोहित के पदोन्नति समारोह की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी सामने आई हैं। उन्हें 1994 में मराठा लाइट इन्फैंट्री में कमीशन मिला था। सेना में उनकी तैनाती के दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद-रोधी अभियानों और खुफिया विभाग में भी काम किया। 2008 में महाराष्ट्र एटीएस ने उन्हें गिरफ्तार किया, उस समय वह मध्य प्रदेश के पचमढ़ी स्थित आर्मी एजुकेशन सेंटर में अरबी की पढ़ाई कर रहे थे।
2011 में मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के पास गया। एनआईए ने अपने पूरक आरोपपत्र में कहा कि पुरोहित के खिलाफ प्रारंभिक तौर पर पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। उन पर हत्या, आपराधिक साजिश और यूएपीए समेत कई गंभीर धाराओं में आरोप लगाए गए थे। उस विस्फोट में छह लोग मारे गए और करीब सौ लोग घायल हुए। एटीएस ने दावा किया था कि 2006 में पुरोहित ने अभिनव भारत संगठन के गठन में हिस्सा लिया और सेना के नियमों के खिलाफ कथित रूप से धन जुटाया।
पुरोहित ने सभी आरोपों से इनकार किया। उनका कहना था कि उन्हें बिना सबूत के गिरफ्तार किया गया और वह केवल खुफिया जानकारी जुटाने के लिए अभिनव भारत से जुड़े थे। अदालत ने भी कहा कि कोई सबूत नहीं है कि संगठन के धन का इस्तेमाल किसी आतंकवादी गतिविधि के लिए किया गया।
विशेष न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने अपने फैसले में यह भी कहा कि सेना ने उनकी गिरफ्तारी के दौरान “अपने अधिकारी की सुरक्षा” सुनिश्चित नहीं की। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि एनआईए द्वारा षड्यंत्रकारी बैठकों के आरोप पर कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया और गवाहों की गवाही में कई विसंगतियां थीं।
इस बरी होने के बाद अब लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित को कर्नल के पद पर पदोन्नत कर दिया गया है। यह उनके लिए न केवल पेशेवर बल्कि व्यक्तिगत तौर पर भी एक बड़ी जीत मानी जा रही है। वहीं, बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में विस्फोट पीड़ितों के रिश्तेदारों की अपील पर सुनवाई करते हुए एनआईए और बरी किए गए व्यक्तियों को नोटिस जारी किया है।