मालदीव राष्ट्रपति मुइज्जू चीन दौरे से वापस आ गए हैं और उनकी तरफ से एक तल्ख बयान दिया गया है। उन्होंने कहा है कि हमने किसी को भी बुली करने का लाइसेंस नहीं दिया है। हम छोटे हो सकते हैं, लेकिन उसका मतलब ये ना निकाला जाए कि कोई भी हमे धमका देगा। अब मालदीव के राष्ट्रपति ने किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि उनका निशाना भारत की तरफ ही है।

जानकारी के लिए बता दें कि बीते कुछ दिनों से भारत और मालदीव के बीच में रिश्ते तल्ख चल रहे हैं। असल में मालदीव के ही एक मंत्री ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर विवादित टिप्पणी कर दी थी। उन्होंने लक्षद्वीप का मजाक भी बनाया था और जोर देकर कहा था कि इस जगह की तुलना मालदीव से कभी नहीं हो सकती। उस एक बयान के बाद से ही भारत ने मालदीव के बॉयकॉट का ऐलान कर दिया था और देखते ही देखते कई लोगों ने अपनी मालदीव ट्रिप कैंसिल कर दी।

इसके बाद बॉलीवुड और खेल जगत की तमाम बड़ी हस्तियों ने भी मालदीव के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कीं, पीएम के समर्थन में एकजुटता दिखाई और देखते ही देखते सभी ने मालदीव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उसका असर ये हुआ कि मालदीव को समाने से चीन से मदद मांगनी पड़ गई। जब राष्ट्रपति मुइज्जू चीन के दौरे पर गए, उन्होंने चीनी पर्यटकों के मालदीव आने की अपील की। उन्होंने तर्क दिया कि चीन से सबसे ज्यादा पर्यटक आते हैं, ऐसे में उसे जारी रखा जाए।

अब ये विवाद सीधे-सीधे मालदीव को कई मुश्किलों में डाल सकता है। मालदीव की इकोनॉमी टूरिज्म पर ही डिपेंड करती है। वहां की जीडीपी का 28% हिस्सा टूरिज्म पर डिपेंड करता है। ऐसे में अगर उसके पर्यटन पर थोड़ा भी असर पड़ गया, उसके लिए ये किसी बड़े झटके से कम नहीं होगा। वैसे मालदीव और भारत के बीच पिछले वर्ष 500 मिलियन डॉलर से अधिक का कारोबार भी हुआ था। इस वर्ष भी यह लगातार बढ़ भी रहा है। मालदीव और भारत के बीच तीन दशक पहले ट्रेड एग्रीमेंट हुआ है। इस एग्रीमेंट के तहत मालदीव भारत से उन वस्तुओं का आयात करता है जो दूसरे देशों को निर्यात नहीं होता है। इसके अलावा मालदीव के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में भी भारत का पैसा लगा है।