क्योंकि मलय राष्ट्रवादियों के गठबंधन को रविवार एक प्रभावशाली धड़े का समर्थन मिल गया। नए बन रहे समीकरण से वहां व्यापक इस्लामीकरण की आशंका जताई जाने लगी है। मलेशिया की 3.3 करोड़ आबादी के दो तिहाई ग्रामीण मलय लोगों को डर है कि अधिक बहुलता के साथ वे अपने अधिकारों को खो सकते हैं। इनमें बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक जातीय चीनी और भारतीय लोग शामिल हैं।

कड़े मुकाबले वाले आम चुनाव के बाद त्रिशंकु संसद की स्थिति है। इसमें मलय केंद्रित पेरिकतान नेशनल या नेशनल अलायंस का उदय हुआ, जिसके अगुवा पूर्व प्रधानमंत्री मुहिद्दीन यासीन हैं। चुनाव परिणाम ने कई मलेशियावासियों को हैरान कर दिया जिन्हें राजनीतिक उथल-पुथल के बाद स्थायित्व एवं एकता की उम्मीद थी।

वहां 2018 के बाद से तीन प्रधानमंत्री हुए हैं। मुहिद्दीन यासीन के नेतृत्व वाले ‘नेशनल अलायंस’ को संसद की 220 सीट में से 73 सीटें मिली हैं। इसकी सहयागी पैन-मलेशियन इस्लामिक पार्टी या पीएएस 49 सीटें जीतकर अहम विजेता बनकर उभरी है। उसे 2018 की तुलना में दोगुणा से अधिक सीट मिली है।

पीएएस का तीन प्रांतों में शासन है और वह अब सबसे बड़ा राजनीतिक दल है। उसके उभार से देश में व्यापक इस्लामीकरण की आशंका जताई जाने लगी है। विपक्षी नेता अनवर इब्राहिम के सुधारवादी गठबंधन को सबसे अधिक 82 सीटें मिली हैं, लेकिन वह बहुमत के आंकड़े 112 से दूर रह गई।
मुहिद्दीन का गठबंधन बोरनियो द्वीप के दो प्रांतों में राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल करके जीत के करीब पहुंच गया है। उसे अब भी बहुमत के लिए एक अन्य गठबंधन ‘यूनाइटेड मलयज नेशनल आर्गेनाइजेशन’ (यूएमएनओ) के साथ की जरूरत है।

यदि इस समीकरण पर राजा की मुहर लग जाती है तो इसका मतलब होगा कि मुहिद्दीन प्रधानमंत्री के तौर पर लौटेंगे। यूएमएनओ ने ब्रिटेन से आजादी मिलने से लेकर 2018 तक मलेशिया पर शासन किया। यूएमएनओ को महज 30 सीट मिली हैं। चुनाव में हार का सामना करने वाले लोगों में दो बार के पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद (97) भी शामिल हैं जो एक अलग मलय आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। मलेशिया की 3.3 करोड़ आबादी के दो तिहाई ग्रामीण मलय लोगों को डर है कि अधिक बहुलता के साथ वे अपने अधिकारों को खो सकते हैं। इनमें बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक जातीय चीनी और भारतीय लोग शामिल हैं।

हालांकि, अनवर का कहना है कि उन्होंने बहुमत हासिल करने के लिए सांसदों से लिखित में समर्थन हासिल कर लिया है। उन्होंने कहा कि इसे देश के राजा को सौंपा जाएगा जो अंतिम फैसला लेंगे। उन्होंने कहा, ‘हमने बहुमत हासिल कर लिया है। बहुमत का मतलब है 111 से अधिक सीटें।’ हकीकत यह है कि विपक्षी नेता अनवर इब्राहिम के सुधारवादी गठबंधन को संसद की 220 सीट में से सबसे अधिक 83 सीट मिली हैं लेकिन वह बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री मुहिद्दीन यासीन के नेतृत्व वाले ‘नेशनल एलायंस’ को 73 सीट मिली हैं।

मलेशिया में यूएमएनओ के भ्रष्टाचार ने मुहिद्दीन के गठबंधन को फायदा पहुंचाया। इसकी सहयागी पैन-मलेशियन इस्लामिक पार्टी या पीएएस अहम विजेता बनकर उभरी है। आशंका जताई जा रही है कि चुनाव के नतीजों से खरीद-फरोख्त का दौर शुरू हो सकता है क्योंकि सरकार बनाने के लिए मुहिद्दीन और अनवर दोनों के बीच खींचतान चल सकती है।

इस बीच, मुहिद्दीन ने कहा है कि उन्हें राजमहल से एक पत्र मिला है जिसका संकेत है कि उनके गठबंधन को सरकार बनाने में प्राथमिकता दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि उन्हें स्थिर सरकार बनाने का भरोसा है। यूएमएनओ के नेता अहमद जहीद हामिदी ने एक बयान में कहा कि उनके गठबंधन ने नतीजों को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि नेशनल फ्रंट स्थिर सरकार बनाने के लिए मतभेदों को दरकिनार रखना चाहता है। दो संघीय सीट पर एक उम्मीदवार के निधन तथा खराब मौसम के कारण मतदान स्थगित कर दिया गया।

भ्रष्टाचार की आंच

बारिसन नेशनल गठबंधन 1957 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद से देश की सत्ता पर काबिज रहा, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते वर्ष 2018 के चुनाव में उसे अनवर के गठबंधन पीएच से शिकस्त झेलनी पड़ी। इस चुनाव के बाद एक समय शक्तिशाली रहे यूएमएनओ के नेताओं को भ्रष्टाचार के मामलों में जेल जाना पड़ा और मलेशिया में बदलाव की संभावना बनी, लेकिन दलबदल के कारण 2020 की शुरुआत में पीएच सरकार गिर गई और एक बार फिर यूएमएनओ सत्ता में आ गया।