तृणमूल कांग्रेस की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। 8 दिसंबर को उन्हें लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद अब उन्हें सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस दिया गया है। नोटिस में उन्हें बंगला तुरंत खाली करने को कहा गया है। 8 जनवरी को संपदा निदेशालय ने उनको नोटिस जारी कर 3 दिन में बंगला खाली नहीं करने का कारण पूछा था। उसके बाद 12 जनवरी को महुआ को तीसरा नोटिस भी जारी किया गया। इसके बाद भी महुआ मोइत्रा ने अपना बंगला खाली नहीं किया।
हाईकोर्ट से लगाई थी गुहार
लोकसभा से निष्कासित होने के बाद महुआ मोइत्रा को सरकारी बंगला खाली करने को नोटिस मिला। इसके बाद महुआ मोइत्रा ने हाईकोर्ट का रुख किया। 4 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने महुआ से कहा था कि वो संपदा निदेशालय से संपर्क कर अनुरोध करें कि उन्हें आवंटित सरकारी आवास में रहने की अनुमति दी जाए। कोर्ट ने महुआ मोइत्रा को अपनी याचिका वापस लेने को कहा। कोर्ट ने कहा था इस मामले में संपदा निदेशालय फैसला करेगा।
महुआ मोइत्रा को 7 जनवरी तक बंगला खाली करने का नोटिस दिया गया था। इसके बाद भी जब बंगला खाली नहीं हुआ तो 8 जनवरी को संपदा निदेशालय ने एक नोटिस जारी किया था और तीन दिन के अंदर जवाब मांगा था। 12 जनवरी को महुआ को तीसरा नोटिस भी जारी किया गया. महुआ को यह बंगला बतौर सांसद आवंटित किया गया था।
क्या है मामला?
बता दें कि महुआ मोइत्रा को कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से कथित तौर पर गिफ्ट लेने और उनके साथ संसद की वेबसाइट का यूजर आईडी और पासवर्ड साझा करने का दोषी पाया गया है। इस मामले में जांच लोकसभा की एथिक्स कमेटी ने की थी। एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर एक्शन लेते हुए 8 दिसंबर को महुआ की सदस्यता रद्द कर दी थी।