Mahua Moitra Case: तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के विवाद से उनकी पार्टी का ही मोहभंग हो गया है। पार्टी ने शनिवार को अपने सांसद महुआ मोइत्रा से इस मामले में दूरी बना ली है। लोकसभा में उनके पूछे गये सवालों पर विवाद खड़ा हो गया था। और वह हाउस एथिक्स कमेटी की जांच के दायरे में हैं। मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के लिए ‘रिश्वत’ लेने का आरोप है। आरोप है कि रियल एस्टेट से लेकर ऊर्जा तक विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार करने वाले हीरानंदानी समूह के सीईओ दर्शन हीरानंदानी ने अडाणी समूह के बारे में संसद में सवाल पूछने के लिए मोइत्रा को पैसे दिए थे।
पार्टी की प्रदेश इकाई ने कहा- ‘इस मामले में हमें कुछ नहीं कहना है’
हीरानंदानी ने हाल ही में दावा किया था कि मोइत्रा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘बदनाम और शर्मिंदा’ करने के लिए अडाणी पर निशाना साधा था। हीरानंदानी ने एक हलफनामे में यह दावा किया था। तृणमूल कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई के महासचिव एवं प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘‘पार्टी को इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहना है। हमें लगता है कि जिनके इर्द-गिर्द यह विवाद केंद्रित है, वही इस पर प्रतिक्रिया देने के लिए सबसे उपयुक्त हैं।’’
बीजेपी नेता बोले- सत्तारूढ़ TMC जिम्मेदारी से बच नहीं सकती है
तृणमूल कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी नेतृत्व किसी विवाद में पड़ने को तैयार नहीं है और इसलिए ‘‘इससे दूरी बनाए रखेगा।’’ घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी नेता राहुल सिन्हा ने कहा कि पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। उन्होंने कहा, ‘‘तृणमूल कांग्रेस हमेशा उस वक्त अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करती है, जब भी उसके नेता गिरफ्तार होते हैं या मुसीबत में फंसते हैं। तृणमूल कांग्रेस को यह बताने की जरूरत है कि वह महुआ मोइत्रा का समर्थन करती है या नहीं।’’
लोकसभा अध्यक्ष करा रहे हैं आरोपों की जांच
इस सप्ताह की शुरुआत में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत देहाद्रई ने आरोप लगाया था कि मोइत्रा ने संसद में सवाल पूछने के बदले हीरानंदानी से ‘रिश्वत’ ली थी। जवाब में, मोइत्रा ने उनके खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया था। दुबे की शिकायत को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद की आचार समिति को भेज दिया है। वह इस मामले की जांच कर रही है।
15 अक्टूबर को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे अपने पत्र में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया कि मोइत्रा ने दुबई स्थित हीरानंदानी समूह के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दर्शन हीरानंदानी की ओर से ये प्रश्न पूछे। वह वकील जय अनंत देहाद्राई द्वारा लगाए गए आरोपों पर भरोसा कर रहे थे, जिन्होंने सीबीआई में दायर एक शिकायत में दावा किया था कि मोइत्रा ने सदन में जो “50 प्रश्न” पूछे हैं, वे सीधे तौर पर “समूह के सीईओ दर्शन हीरानंदानी के व्यावसायिक और व्यक्तिगत हित संबंधित हैं।”
बिड़ला ने मामले को लोकसभा आचार समिति के पास भेज दिया है, जिसने दुबे और देहाद्राई दोनों को 26 अक्टूबर को अपने सामने पेश होने के लिए बुलाया है। लेकिन यह सिर्फ टीएमसी ही नहीं बल्कि कांग्रेस सहित बड़ा विपक्षी गुट भी है जो इस मुद्दे पर सावधानी से कदम उठा रहा है। शनिवार को इस मुद्दे पर पार्टी की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा सीधे-सीधे कुछ न कहकर मीडिया के ऐसे सवालों से बचने की कोशिश कर रहे थे।