Maharashtra Assembly Elections 2024: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव प्रचार आज खत्म हो जाएगा और 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। इस चुनाव अभियान में सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी नोंकझोंक देखने को मिली। महाराष्ट्र में पार्टियों के बिखरने के बाद में यह पहला विधानसभा चुनाव है। इस बार निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवारों की संख्या ने नई ऊंचाइयों को भी छू लिया है। महाराष्ट्र में इस बार कई वोटर्स अविश्वास को रोकने के लिए तैयार नहीं दिखते।
महाराष्ट्र के वोटर्स विभाजन और पक्ष या पार्टी की बढ़ती अप्रासंगिकता की बात करते हैं। पार्टियों की राजनीति के लिए वोटर्स के अविश्वास में एक नया मोड़ आता दिख रहा है। भरोसे की यह कमी यकीनन इस चुनाव के परिणाम पर असर जरूर डालेगी। यह एक खतरे की घंटी भी है जिस पर सभी राजनीतिक पार्टियों को ध्यान देना चाहिए।
वोटर्स का पार्टियों से मोहभंग
विदर्भ के नागपुर, भंडारा, गोंदिया, वर्धा, अमरावती, अकोला और बुलढाणा जिलों में इंडियन एक्सप्रेस को यह देखने को मिला कि पार्टियों से वोटर्स का मोहभंग और इस कारण से चुनावी भविष्यवाणी करना बेहद ही मुश्किल हो रहा है। अब एक सवाल यही है कि क्या स्थानीयकरण कांग्रेस और उसके नेतृत्व वाले गठबंधन महा विकास अघाड़ी के लिए काम करता है या फिर बीजेपी और महायुति के लिए काम करता है।
बुलढाणा जिले के बीबी गांव में एक चाय की दुकान के बाहर वोटर्स दो मुद्दों पर बात करते हैं। यह बातचीत विदर्भ में काफी हावी है। पहला तो यही था कि सोयाबीन और कपास की गिरती हुई कीमत और दूसरा बेरोजगारी शामिल है। प्राइमरी स्कूल के टीचर सरजेराव ने कहा कि हमने 2014 में मोदी को बहुत उम्मीदों के साथ वोट दिया था, लेकिन हम नोटबंदी जैसे फैसलों से निराश महसूस करते हैं। मैं 2019 में कांग्रेस को वोट दिया। यहां भी तोड़ फोड़ है। पहले मैं पूरे एक घंटे तक मोदी का भाषण देखता था, अब जब वे बोलते हैं तो मैं चैनल बदल देता हूं।
पिंपरी खंडारे गांव के सरपंच विष्णु केंद्रे ने कहा कि पीएम मोदी ने अजित पवार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और फिर उन्हें डिप्टी सीएम बना दिया। हमने उन्हें पीएम बनाया क्योंकि हम कांग्रेस से नाखुश थे, तो कांग्रेस पर क्यों बरस रहे हैं। हालांकि, इस चुनाव में पीएम मोदी की आलोचना के बावजूद नागरे और केंद्रे का कहना है कि वे बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति के उम्मीदवार को वोट देंगे। निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा विधायक ने पाला बदल लिया और पिछले पांच सालों में वह एमवीए और महायुति दोनों की सरकारों का हिस्सा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वह उम्मीदवार को देखेंगे और किसी पक्ष को नहीं देखेंगे। कौन जानता है कि जीतने के बाद वह किस पार्टी में शामिल हो जाता है। केंद्रे ने कहा कि 23 नवंबर के आगे देखना क्या होगा, किसी बात की कोई गारंटी नहीं है। बुलढाणा के फैजलपुर गांव में भुजंग पद्ममुख ने कहा कि हमारे हाथ में कुछ नहीं है। हम उम्मीदवार को देखते हैं, वह देखता है कि कौन उसे लुभा सकता है। संगीता वानखेड़े ने कहा कि खोखे लेते हैं, भाग जाते हैं।
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पीएम मोदी के लिए जताया समर्थन
अकोला शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर व्याला गांव में तीन युवा ओबीसी किसान मोदी के लिए अपना समर्थन जताते हैं। उन्होंने कहा कि इससे इस चुनाव में उनकी पसंद पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि ऊपर तो है ही मोदी। वह पहले से ही केंद्र में विराजमान हैं। प्रकाश बोचारे शिंदे सेना को वोट देंगे क्योंकि उसका उम्मीदवार उनका रिश्तेदार है। कैलाश बोचारे उद्धव सेना के उम्मीदवार को वोट दे सकते हैं क्योंकि मैदान में मेरी अपनी जाति का कोई उम्मीदवार नहीं है और किशोर पगधुने उनके खिलाफ पुरानी दुश्मनी को दूर करने के लिए वोट देंगे।
महायुति और महाविकास अघाड़ी अलायंस के बीच में कांटे की टक्कर है। दोनों पक्षों के बीच में एक दूसरे को मात देने की होड़ है। कुछ का कहना है कि आरएसएस भारतीय जनता पार्टी के लिए अहम भूमिका निभा सकता है। संघ का मुख्यालय भी नागपुर में है तो बीजेपी की लोकसभा चुनाव के हार के जवाब में संघ ज्यादा एक्टिव नजर आया है।
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पीएम मोदी और सीएम योगी का नारा गेमचेंजर साबित होने की उम्मीद
पीएम मोदी का नारा है एक हैं तो सेफ हैं और सीएम योगी का नारा बटेंगे तो कटेंगे को महायुति को बढ़त दिलाने के लिए भारतीय जनता पार्टी की चाल के तौर पर देखा जा सकता है। इस बेल्ट में जातियों के बीच सांप्रदायिक ध्रुवीकरण वास्तव में नजर आ रहा है। यहां तक कि ओबीसी और मराठा कैटेगरी के लोगों को भी एक साथ लाया जा रहा है, जो मराठा आरक्षण की मांग को लेकर राज्य के कुछ हिस्सों में एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं।
बांग्लादेश का भी जिक्र
बुलढाणा के अटाली गांव में चाय की दुकान चलाने वाले ओबीसी महादेव घोरपड़े ने हिंदुओं पर अत्याचार की बात की और बांग्लादेश का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘हिंदुओं को कांग्रेस से भी खतरा है।’ एमकॉम करने वाले गजानन भी ओबीसी हैं। उन्होंने कहा कि यह हिंदुओं की जगह है और जो हम बोलेंगे वो होना चाहिए। अकोला शहर में एक होटल में स्कूल की प्रिंसिपल जय श्री देशमुख ने कहा कि बीजेपी को वक्फ बोर्ड को रद्द करना चाहिए और यूसीसी लाना चाहिए। हम मराठा आरक्षण बाद में मांग सकते हैं, पहले हमें देश को बचाना है। बीबी गांव के सरजेराव नागरे ने कहा कि उत्तर प्रदेश का नारा महाराष्ट्र में नहीं होना चाहिए।
लड़की बहिन योजना भी गेमचेंजर
इतना ही नहीं महायुति की लड़की बहिन योजना को भी गेमचेंजर बताया जा रहा है। इसमें 21 से 65 की उम्र की महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये दिए जाते हैं। ऐसा अनुमान है कि 2.26 करोड़ महिलाओं को चार किस्तों में पहले ही फायदा मिल चुका है। कांग्रेस ने इस राशि को बढ़ाकर दोगुना करने का वादा किया है। लेकिन इस बेल्ट में कई जगहों पर वोटर्स कहते हैं कि आप हमसे ले रहे हैं और हमें वापस दे रहे हैं और बहुत ज्यादा ले रहे हैं और बहुत ही कम दे रहे हैं।
बुलढाणा के फैजलपुर गांव में संगीता वानखड़े ने कहा कि 1,500 रुपये में मैं 15 लीटर का खाने का तेल भी नहीं खरीद सकती हूं। इसकी कीमत पहले 1300 रुपये थी और अब बढ़कर 2200 रुपये हो गई है। भंडारा जिले के महलगांव में अर्पिता शहारे ने कहा कि मुझे पैसे नहीं चाहिए, बस उन चीजों की कीमतें कम कर दीजिए जिनकी मुझे जीने के लिए जरूरत है।