धार्मिक तौर पर बेहद अहमियत रखने वाले महाराष्ट्र के शिरडी में द्वारकामाई मस्जिद के नजदीक लगे दो भगवा साइनबोर्ड पर काफी विवाद हो गया है। स्थानीय और मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों के प्रदर्शन के बाद इन साइनबोर्ड्स को हटा दिया गया है। बता दें कि ‘द्वारकामाई मस्जिद’ वाले साइनबोर्ड को हटाकर ‘द्वारकामाई मंदिर’ वाले बोर्ड लगा दिए गए थे। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि हाल ही में लगे कुछ अन्य ‘भगवा’ बोर्ड और ध्वजों को भी आठ दिन के अंदर हटाया जाए। एक अंग्रेजी वेबसाइट की खबर के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि शिरडी साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट का भगवाकरण हो रहा है। साईं के ध्वज के पिलर में ओम शब्द ने इस मामले में आग में घी काम किया।

आरोप है कि जब से कुछ नए सदस्यों और नई कमिटी ने इस पवित्र धार्मिक स्थल के बोर्ड में कामकाज संभाला, लगभग सभी साइनबोर्ड के रंग बदल गए। शिरडी साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट के सीईओ के पास हाल ही में एक चिट्ठी भी भेजी गई थी। इस मामले से जुड़ी सभी शिकायतों को इस चिट्ठी में जगह दी गई है। शिकायत के मुताबिक, धर्मस्थल की देखभाल के तरीके और धर्मस्थल में कुछ बदलाव किए गए हैं, ताकि इसे एक खास धर्म से जोड़कर दिखाया जा सके।

यहां ध्यान देने वाली चीज यह है कि साईं मंदिर में पूजा हमेशा हिंदू रीति रिवाजों से होती है। यह मामला ऐसे वक्त में सामने आया है, जब कुछ वक्त पहले ही 17 से 19 अक्टूबर तक शिरडी साईं बाबा समाधि के शताब्दी समारोह का आयोजन हुआ था। इस दौरान ट्रस्ट को करीब छह करोड़ रुपये का चंदा भी मिला था। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में देशभर से करीब तीन लाख श्रद्धालु यहां आए थे। माना जाता है कि इस पवित्र जगह पर ही साईं बाबा ने 15 अक्टूबर 1918 को समाधि ली थी।